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Analysis

आत्मनिर्भर भारत

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12 मई 2020 को राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक विशेष राहत पैकेज की घोषणा की। यह पैकेज 20 लाख करोड़ का है। इसमें सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा कि गई पहले की घोषणाएँ भी शामिल है जो 9.74 लाख करोड़ की थी।

"क्या हमें यह एहसास नहीं है कि आत्म सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता है?"
-Abdul Kalam

आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 5 आधार बताए गए जिनपर आत्मनिर्भर भारत की इमारत खड़ी होगी और वह 5 आधार हैं


1. अर्थव्यवस्था (economy) 
2.आधारिक संरचना (infrastructure) 
3. हमारी व्यवस्था (system) जो 21वीं सदी की तकनीक पर आधारित होगी
4. हमारी जनसांख्यिकी (Demography) 
5.मांग (demand) 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अपनी पत्रकार वार्ता में कहा कि आत्मनिर्भर भारत नाम इसलिए क्योंकि 20 लाख करोड़ का यह पैकेज समाज के सभी वर्गों से गहन चर्चा और उनके हितों को ध्यान में रखने के बाद लाया गया है। चाहे वह अमीर हो या गरीब या फिर मजदूर वर्ग हो या उद्योगपति और चाहे निजी क्षेत्र हो या सरकारी।

आत्मनिर्भर भारत के द्वारा भारत एक आर्थिक क्रांति करना चाहता है। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है, यदि इतिहास पर दृष्टि डाली जाए तो हम देखेंगे कि जब देश में अनाज का संकट था और हमें बाहर के देशों से अनाज खरीदना पड़ता था तब ही आर्थिक क्रांति के लिए कार्य किया गया और खाद्यान के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बने इसी प्रकार श्वेत क्रांति हुई और दूध उत्पादन के क्षेत्र में भी हम आत्मनिर्भर हुए।

उसी प्रकार इस आर्थिक क्रांति द्वारा भारत अपनी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना चाहता है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के पीछे मूलभूत विचार यह है कि हमारे देश में प्रतिभा कि तो कोई कमी नहीं है यह प्रतिभा विदेशों में न जाए और इनका यहीं उपयोग किया जाए जिससे देश का विकास हो।

इस नीति के द्वारा कोरोना द्वारा आई आर्थिक मंदी और आर्थिक संकट से न केवल बाहर निकलना बल्कि पहले से ज़्यादा मजबूत होने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए जो राहत पैकेज है वह 20 लाख करोड़ निश्चित किया गया है जो अमेरिका और जापान के बाद तीसरा सबसे बड़ा राहत पैकेज है।

इस पैकेज द्वारा चीन का जो वर्चस्व भारतीय बाजारों पर है उससे पार पाने और भारतीय सामान को उसकी जगह स्थापित करने का उद्देश्य है अर्थ यह है कि जो चीजें लोगों को चाहिए उसे भारत में ही बनाया जाए फिर चाहे वह मोबाइल फोन हो या दीवाली की जगमगाती लड़ियाँ या अन्य कोई भी उत्पाद। इसके अलावा अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों की कंपनियाँ चीन से बाहर आना चाहती है और यह भारत के लिए एक मौके की तरह है कि वह उन कंपनियों को भारत में जगह दे।

इस प्रकार भारत को हर प्रकार से सक्षम बनाना ही आत्मनिर्भर भारत है। इसके लिए स्वयं प्रधानमंत्री जी द्वारा कहा गया है कि हम भारत में बनी हुई वस्तुएँ खरिदें और भारत में बनी हुई वस्तुओं का अपने स्तर पर प्रचार भी करें जिसके लिए ‘वोकल फोर द लोकल’ वाक्य का प्रयोग किया क्योंकि आज के सभी बड़े ब्रैंड (Brands) पहले लोकल ही थे। इसलिए अपने देश में बनी हुई वस्तुओं को खरीद कर और उसका प्रचार करके हम इस मुहीम में अपना योगदान दे सकते हैं और भारत को आत्मनिर्भर बनने में सहायक हो सकते हैं।

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Gaurav jagota

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