संस्कृत भाषा का इतिहास :संस्कृत भाषा को देववाणी और विश्व की प्राचीनतम भाषा में से एक मानी जाती है। संस्कृति में लिखी गई पाण्डुलिपियों की संख्या आज भी विश्व की सबसे अधिक मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी समस्त पाण्डुलिपियों को अभी भी नहीं पढ़ा जा सका है। अतः संस्कृत भाषा का साहित्य बहुत विस्तृत है।
कालिदास,अभिनवगुप्त, शंकराचार्य जैसे अनेक नाम हैं जो संस्कृति भाषा के मूर्धन्य विद्वानों में से एक है। साहित्य के अलावा आयुर्वेद के क्षेत्र में , दर्शन के क्षेत्र में तथा विज्ञान आदि के क्षेत्र में भी अनेक विद्वान भी इस भाषा में पाए जाते हैं। संस्कृत भाषा हमारे भारत के लगभग समस्त भाषाओं की जननी है। हिन्दी और उर्दू इसकी प्रमुख संतानों में से एक हैं।
Table of Contents
विश्व की समस्त भाषाओं को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर चार भागों में विभाजित किया गया है। यूरेशिया (यूरोप- एशिया), अफ्रीका भूखण्ड, प्रशांत महासागरीय भूखण्ड तथा अमेरिका भूखण्ड इसके भाग हैं। यूरेशिया (यूरोप- एशिया) परिवार की एक शाखा भारोपीय परिवार है। इस भारोपीय परिवार की 10 शाखा है। जिसमें से एक शाखा भारत-इरानी (आर्य) परिवार है। इसके तीन उपवर्ग हैं – ईरानी , दरद , और भारतीय आर्यभाषा । भारतीय आर्यभाषा से ही संस्कृत भाषा की उत्पत्ति होती है ।
इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
1. प्राचीन भारतीय आर्यभाषा 2000 ई.पू. से 500 ई.पू. तक
(क) वैदिक संस्कृति 2000 ई.पू. से 800 ई.पू. तक
(ख)संस्कृत अथवा लौकिक संस्कृत 800 ई.पू. से 500 ई.पू. तक
2. मध्यकलीन भारतीय आर्यभाषा 500 ई.पू. से 1000 ई.पु. तक
(क) पाली (प्रथम प्राकृत) 500 ई.पू. से 1 ई. तक
(ख) प्राकृत (द्वितीय प्राकृत) 1 ई. से 500 ई. तक
(ग) अपभ्रंश (तृतीय प्राकृत) 500 ई. से 1000 तक
3. आधुनिक भारतीय आर्यभाषा 1000 ई. से अब तक
अपने नाम को चरितार्थ करता शब्द है वैदिक संस्कृत अर्थात जिस काल में वेदों की रचना हुई। जैसा कि हमें पता है कि वेद हमारे प्राचीनतम ग्रंथ हैं।वैदिक संस्कृत को ‘वैदिकी,वैदिक , छंदस् या छांदस्‘ आदि भी कहा जाता है। वैदिक संस्कृत को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है –
अ. – संहिता
ब. – ब्राह्मण
स. – उपनिषद
संहिता विभाग में ऋक् संहिता, यजु संहिता, साम संहिता और यजु संहिता आते हैं। सभी संहिताओं में मंत्रों आदि का संकलन है।ब्राह्मण ग्रंथ वे होते थे जिनकी रचना ब्राह्मणों द्वारा की गई थी।इस भाग में कर्मकांड आदि की व्याख्या की गई है। प्रत्येक संहिता के अपने-अपने ब्राह्मण ग्रंथ मिलते हैं।ब्राह्मण ग्रंथों के परिशिष्ट या अंतिम भाग उपनिषद के नाम से जाने जाते हैं। उपनिषदों की संख्या 108 बताई गई है जिनमें से 18 उपनिषद महत्वपूर्ण हैं।
संस्कृत के विकास में यह भाषा वैदिक संस्कृत से आगे बढ़ती है। भाषा का वह रूप जो ‘महर्षि पाणिनि‘ अपने व्याकरण ग्रंथ ‘अष्टाध्यायी‘ में निर्धारित करते हैं लौकिक संस्कृत के रूप में जानी जाती है। वैदिक संस्कृत में कुल 52 ध्वनियां थी जो लौकिक में आकर मात्र 48 बचती हैं। लौकिक संस्कृत में ही हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण ग्रंथ रामायण और महाभारत की रचना हुई। इस प्रकार से लौकिक संस्कृत वह भाग है जो भारतीय जनमानस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बना।
इस प्रकार आगे चलकर संस्कृत भाषा के विकास की धारा पाली में बंट जाती है। अगर आपको महात्मा बुद्ध का समय याद है तो पता होगा कि महात्मा बुद्ध के शिक्षाओं का संकलन पाली भाषा में ही किया गया है। उनके सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ त्रिपिटक (सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक) की रचना पाली भाषा में ही की गई है। पाली भाषा का प्रयोग बुद्ध के जनमानस से जुड़ने का प्रमुख प्रयास रहा । पाली के अगले चरण में प्राकृत आती है और आगे अपभ्रंश। अपभ्रंश में ही स्वयंभू की प्रमुख रचना पउमचरिउ मिलती है। इसी अपभ्रंश से हिन्दी क्षेत्र की तमाम बोलियों का तथा इसके एक भाग शौरसेनी अपभ्रंश से खड़ी बोली हिन्दी का विकास हुआ है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि संस्कृत भाषा एक अत्यंत प्राचीन भाषा है। भाषा वैज्ञानिकों के अध्ययन में यह भाषा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके अलावा संस्कृत धीरे-धीरे परिवर्तित होती रही जैसे पाली और प्राकृत में साथ ही साथ इसकी एक शाखा और भी आगे बढ़ती रही जो आज हमारे पास संस्कृत के रूप में मिली। संस्कृत विश्व की सबसे वैज्ञानिक भाषाओं में से एक है। हमें संस्कृत की धरोहर को सम्हालना चाहिए।
#सम्बंधित:- आर्टिकल्स
एक भाई और बहन के बीच का रिश्ता बिल्कुल अनोखा होता है और इसे शब्दों…
Essay on good manners: Good manners are a topic we encounter in our everyday lives.…
Corruption has plagued societies throughout history, undermining social progress, economic development, and the principles of…
Welcome, ladies and gentlemen, to this crucial discussion on one of the most critical issues…
Waste management plays a crucial role in maintaining a sustainable environment and promoting the well-being…
Best Car Insurance in India: Car insurance is an essential requirement for vehicle owners in…