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सोशल मीडिया: एक वर्चुअल संसार

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सोशल मीडिया आज के वक्त में जीवन का एक बहुत बड़ा घटक बनकर उभरा है। जो समाज कभी लोगों के बीच बैठकर बातें करता था वो आज स्क्रीन के सामने बैठा रहता है और सारी बातचीत उसी वर्चुअल दुनिया में होती है। ऐसे में आज ‘सोशल’ शब्द वास्तव में एकाकी का भी द्योतक बन गया है। आज व्यक्ति के सोशल एकाउंट्स पर हजारों फ्रैंड और सैकड़ों फॉलोअर्स होते हैं फिर भी व्यक्ति अकेला महसूस करता है क्योंकि वर्चुअलईटी दोस्ती वास्तविकता का स्थान कभी नहीं ले सकती है

 वहीं दूसरी ओर देखें तो आज सोशल मीडिया पर लोगों का संपर्क बढ़ने से व्यवसाय से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव भी आया है। आज पाठकों और लेखकों के बीच की दूरी एक क्लिक मात्र की रह गई है। इसलिए यह जानना ज़रूरी हो जाता है कि क्या सोशल मीडिया हमारे लिए फायदेमंद है और कितना? क्या यह मात्र एक वर्चुअल दुनिया है?

सोशल और मीडिया 

हम बचपन से ही ये पढ़ते आए हैं मनुष्य एक सामाजिक जीव है। इसी मनुष्य ने समाज बनाया। समाज यानी कई व्यक्तियों का समूह जिसमें प्रत्येक व्यक्ति भागीदारी करता है। इसी समाज से बना सामाजिक जिसका अंग्रेजी रूपांतरण है – ‘सोशल’। और इसी के साथ जुड़ा शब्द मीडिया। मीडिया शब्द मीडियम से बना है यानी माध्यम से। अर्थात सोशल मीडिया मतलब सामाजिक माध्यम। अगर यहाँ शब्दों में निहित अर्थों को देखें तो यह मात्र एक माध्यम है।

सोशल मीडिया : एक वर्चुअल संसार

जैसा कि आज हर व्यक्ति को पता है कि सोशल मीडिया पर वास्तविकता के नाम पर क्या है इसका हमें पता नहीं है। सामने एक आभासी दुनिया है जिसे आज वर्चुअल रियलिटी भी कहते हैं होती है। यह एक भ्रम की तरह है जो व्यक्ति को सही प्रतीत होती है। अनेक ऐसे केस सामने आए हैं जहाँ फेसबुक पर मिले दो व्यक्ति जब सामने से मिलते हैं तो वे बिल्कुल अलग ढंग से पेश आते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि व्यक्ति जो सामने नहीं कह सकता वो वह अप्रत्यक्ष रूप से लिख सकता है। इस तरह हमारे अंदर द्वैध व्यक्तित्व का जन्म होता है जिसमें हम दो व्यक्तियों सा आचरण करते हैं।

एक जो सच में हमारा व्यक्तित्व है और दूसरा जो हमारा सोशल मीडिया व्यक्तित्व है। आज व्यक्ति वास्तव में जितना है उससे बेहतर दिखाने की कोशिश करता है। इस तरह वह इस ख्याल में रहता है कि वह अब अगला पोस्ट क्या करूं जिससे लोग मुझे पसंद करें। और पसंद न आने पर वह निराश भी होता है। इस तरह व्यक्ति के मन में एक हीन भावना का उदय होता है और वह इसी कोशिश में रहता है कि किस तरह वो और बेहतर पोस्ट करे।

पर क्या वास्तव में वह व्यक्ति ऐसा है? शेक्सपियर का एक उद्धरण है कि आपके पास जितना है उससे कम दिखाओ और जितना दिखाओ उससे अधिक अपने पास रखो। सोशल मीडिया के अधिकांश केस में यह बिल्कुल उल्टा हो गया है।

अपराधों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संरक्षण

क्या आपको पता है आज अपराधों का एक बड़ा भाग सोशल मीडिया से जुड़ा है। ऐसा दो प्रकार से होता पहला तो जिसमें अपराधी प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति के हर गतिविधि पर नज़र रखते हुए अपराध को अंजाम देता है और दूसरा अप्रत्यक्ष जिसमें वह सोशल एकाउंट पर ही ब्लैकमेल जैसी चीजें करता है। अधिकांश ऐसे केस में फेक एकाउंट होता है और वास्तविक अपराधी का पता चलना मुश्किल हो जाता है।    अपराध के संरक्षण का दूसरा रूप भी है कि यदि आप मेट्रो, बस आदि में यात्रा कर रहे हैं।

ज़ाहिर है कि व्यक्ति समय गुजारने के लिए सीट मिलते ही अपने फोन में लगा रहता है। मान लेते हैं वहीं आपके सामने ही कोई अपराध होता है और  पुलिस आपसे अपराधी का हुलिया पहचानने को कहती है। पर आप तो उस वक्त कहीं और व्यस्त थे तो इस तरह से भी एक अपराधी बच जाता है।

पर्सनल डाटा की चोरी

पर्सनल डाटा की चोरी

सोशल मीडिया के सबसे खतरनाक अपराधों में से एक ये भी है जिसमें आपके व्यक्तिगत डाटा की चोरी होती है। यह चोरी कोई व्यक्ति ही नहीं करता है अपितु बड़ी-बड़ी संस्थाएं और अनेक अंतरराष्ट्रीय जासूस तक करते हैं। आपने हाल ही में सुना होगा कि फेसबुक पर डाटा चोरी का आरोप लगा था। या फिर अभी भारत सरकार ने कई चीनी ऐप्लिकेशन को इसीलिए बैन किया कि वो हमारे डाटा की चोरी कर रहा था।

अब हमारे मन में रह प्रश्न उठना चाहिए कि डाटा चोरी से क्या होता है? इनका प्रयोग अनेक संस्थानों द्वारा किसी किसी देश या उसके किसी विशेष वर्ग के व्यक्तियों की प्रवृत्ति जानने के लिए किया जाता है। इन प्रवृत्तियों के आधार पर एक मत खड़ा किया जा सकता है जिसे हम पब्लिक ओपिनियन कहते हैं।

 इससे एक सरकार बनाई भी जा सकती है और गिराई भी जा सकती है। इन डाटा से लोगों की रुचि और ज़रूरत के आधार पर कम्पनियों द्वारा उत्पादन किया जाता है जिससे एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धा का अंत होता है। अंत में सबसे बड़ी बात इससे आपकी निजता का उल्लंघन होता है।

इस प्रकार सोशल मीडिया एक ऐसी वस्तु है जिससे हानियाँ भी बहुत है। यह इसके उपयोग पर निर्भर करता है कि आप इसका किस प्रकार उपयोग कर रहे हैं। आपको सोशल मीडिया के प्रयोग को बड़े ही ध्यान से करना चाहिए। साथ ही यह ध्यान देने की भी ज़रूरत है कि इसका प्रयोग आप अपने फायदे के लिए करें और इसपर आपका नियंत्रण हो

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Ujjwal Shukla

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