बाढ़ और कोरोना की दोहरी मार झेल रहा बिहार

आज हम बिहार की वर्तमान स्थिति को देश की सबसे खराब स्थिति वाला राज्य कहें तो कोई बुराई नहीं होगी। एक तरफ जहाँ कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए बिस्तर की कमी हो गई है कि वहीं दूसरी तरफ यह राज्य बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। ऐसा नहीं है कि बिहार इस वर्ष ही बाढ़ से प्रभावित होने वाला इलाका है। लगभग हर वर्ष वहाँ बाढ़ जैसे हालात बनते हैं और वहाँ की व्यवस्था इसी प्रकार से सोती रहती है। कोरोना से आज पूरा भारत ज़रूर लड़ रहा है पर जो तस्वीरें हाल के दिनों में बिहार से आ रही हैं वह वहाँ की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अतः बिहार की व्यवस्था पर जो सवाल खड़े जा रहे हैं वह लाज़मी हैं।
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बाढ़ से बिगड़ते हालात

अगर हम यह देखें कि इन दोनों आपदाओं को बिहार ने किस प्रकार सम्हाला तो हमें निराशा के अलावा कुछ हाथ नहीं लगेगा।हाल ही सेटेलाइट से तस्वीरें आईं हैं जो बिहार में बाढ़ से मची तबाही को दिखा रही हैं। बिहार में बाढ़ से आज 38 लाख से अधिक लोग प्रभावित हो गए हैं और लगभग 15-20 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। ऐसे में साफतौर पर हम प्रशासन की नाकामयाबी देख सकते हैं। बिहार सरकार की बात करें तो उनका कहना है कि 26 दल बिहार बाढ़ के वक्त बचाव में लगे हुए हैं पर नतीजों की ओर नज़र डालने पर यह शून्य दिखता है।बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में गंडकी और भागमती नदी का पानी भारी तबाही मचा रहा है। बिहार के लोगों की बात करें तो उनका कहना है कि हफ्ते से ऊपर हो गया उनके घर में पानी लगे हुए पर अभी तक प्रशासन द्वारा उन्हें समुचित मदद नहीं मिली है। इस वक्त में उन्हें अपने बच्चों, पशुओं को बचाने के साथ-साथ खाद्य सामग्री की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। वे ऊँचाई वाले स्थानों की तरफ पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। वहाँ से आ रहीं विडियो में फूड पैकेट लोगों के लिए गिराए जा रहे हैं और लोग उसपर टूट पड़ रहे हैं। क्या ये फूड पैकेट्स पर्याप्त मात्रा में लोगों को मिल रहे हैं ? ऐसे अनेक प्रश्न बिहार बाढ़ पर सरकार के रवैये को लेकर उठाए जा रहे हैं।
कोरोना के तेज़ी से बढ़ रहे केस

अब बात उस दुविधा कि करते हैं जिससे पूरा विश्व परेशान है। कोरोना के केस भारत में 16 लाख केस हो चुके हैं। अकेले बिहार में इसके लगभग 50000 केस हो चुके हैं। जिनमें से सक्रिय केस 17000 हैं। पर यहाँ पर अगर हम बिहार में हो रहे रोजाना टेस्ट देखें तो वह बहुत ही कम है। बिहार में अभी तक पाँच लाख टेस्ट भी नहीं कराए गए हैं। अतः हम यह नहीं कह सकते कि बिहार में हालात ठीक हैं। एक तरफ बिहार घनी आबादी वाला राज्य है और दूसरी तरफ यहाँ पर प्रवासी मजदूरों की बड़ी संख्या दिल्ली और मुंबई से पलायन करके आई थी। उनके जाँच की स्थिति क्या रही है इसपर बिहार सरकार ने अपनी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
अब हम बात करते हैं कि किस तरह से दोनों आपदाओं को मिलाकर देखने पर हमारे सामने एक बड़ी भयानक तस्वीर उभर कर आती है। बाढ़ की वजह से जो लोग पलायन कर रहे हैं वे लोग कोरोना से बचने के लिए उचित सावधानी नहीं बरत पा रहे हैं। साथ ही उन क्षेत्रों में कोरोना की टेस्टिंग भी न के बराबर हो गई है। इस वजह से एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि इन क्षेत्रों में यदि कोरोना के मरीज होंगे तो न उनकी जाँच संभव हो पाएगी और न ही इलाज।
बिहार की सरकार हालात पर काबू पाने मे रही है फेल
इस मामले में सरकार द्वारा दोहरी अव्यवस्था देखने को मिल रही है न ही सरकार सही से बाढ़ नियंत्रित कर पा रही है और न ही कोरोना। बाढ़ के मामले में सरकार द्वारा की जा रही मदद अभी भी अपर्याप्त हैं । साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में खाने की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है। कोरोना पर सरकार का रवैया देखें तो सरकार अधिक से अधिक टेस्ट को बढ़ावा नहीं दे रही है। उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं है। हाल ही में वहाँ बना एक पुल कुछ ही दिनों में गिर जाता है। इस तरह से साफ जाहिर हो रहा है कि बिहार सरकार हर तरह से फ्लॉप साबित हो रही है। मरीज़ों के लगातार वायरल होते वीडियो बताते हैं कि बिहार में उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
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