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मित्रता दिवस – पौराणिक युग से ई-युग तक

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जब से भगवान ने पृथ्वी का निर्माण किया हैं, तब से मानव की उत्पत्ति मानी जाती हैं मानव की उत्पत्ति से रिश्ते बनते हैं और रिश्ते सभी खास होते हैं, सभी रिश्तों की जीवन में अहम भूमिका होती हैं, परंतु केवल एक रिश्ता ऐसा हैं जिसे जितनी उम्र लगे वो उतना निखर कर आता हैं, और वह हैं दोस्ती का रिश्ता।

बचपन हो या किशोरावस्था हो, या बुढ़ापा हो, मुसीबत की घड़ी हो या सुख की, आंखों में आंसू हो या होठों पर खुशी हो मित्र उन सभी परिस्थिति में आपके साथ रहता हैं। यह रिश्ता इतना अनोखा होता हैं की बयां करना मुश्किल हो जाता है, मानो व्यक्ति मित्रता के मामले में निशब्द हो जाता हैं।

भारतीय महाकाव्यों में मित्रता की मिसालें

कृष्ण और सुदामा

कृष्ण और सुदामा

दोस्ती की बात हो तो सबसे पहले नाम अगर किसी का आता हैं तो वो है कृष्ण सुदामा। ऐसी दोस्ती ना देखी न सुनी इसके बाद, अद्भुत प्रेम भाव,समर्पण भाव जो आज तो मुश्किल ही देखने हो मिलती हैं। सुदामा कृष्ण की दोस्ती तो मानो फूल और भवरे की तरह हैं जो एक दूसरे पर ही मरते हैं। बिना किसी भेद भाव के बस अपने मित्र पर सब न्योछावर कर देना कृष्ण जैसे मित्र के द्वारा ही संभव हैं। कृष्ण जैसा दोस्त पाकर तो सभी धन्य हो जाते हैं परंतु यहां स्थिति दूसरी थी कृष्ण सुदामा जैसे मित्र पाकर धन्य हो गए थे।

राम और निषाद

मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना।।चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥

राम और निषाद एक ऐसा उदाहरण हैं मित्रता का जो आज के युग में बहुत कम देखने को मिलता हैं।एक केवट अयोध्या के राजा राम का प्रिय सखा, इस उदाहरण से मानो मित्रता कितनी निश्च्छल और निर्मोही है मालूम चलता हैं।

आधुनिक काल में मित्रता

आधुनिक काल में मित्रता फोन, स्टेटस, फेसबुक, वॉट्सएप तक सीमित हो गई है मानो, फ्रेंडशिप डे के दिन कार्ड, गिफ्ट, खाना पीना, फोटो शेयर करना बस यही होता जा रहा हैं। परंतु किसी मित्र के पास इतना समय नहीं की वो अपने दोस्त की दुख को सुने उसके साथ अकेले में पूरा दिन बिताए उसके खुशी में शामिल हो,हर कोई मानो अपने अपने जीवनशैली में इतना व्यस्त हो गया हैं कि वो अपने जीवन के सबसे अनमोल रिश्तों को ही खोता चला जा रहा हैं, शायद इसी कमी के वजह से व्यक्ति अकेला भी होता जा रहा हैं।

आज इस कोरोना काल में अकेला पन महसूस होने पर वहीं पुराने यार पुराना समय याद आ रहा हैं, ऐसे में हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए कि वो अपने मित्र को अपने परिवार को पूर्ण रूप से समय देगा उनके साथ बातें करेगा उनके दुख सुख में साथ रहेगा और जिंदगी को जीयेगा।

फ्रेंडशिप डे का इतिहास

वैसे तो फ्रैंडशिप डे से जुड़ी कई कहानियां हैं,उसमें से एक कहानी सबसे अधिक प्रचलित हैं-

कहा जाता है फ्रेंडशिप डे की शुरुआत अमेरिका से की गई थी 1935 में, इसके पीछे की कहानी यह हैं कि अगस्त के पहले रविवार को अमेरिकी सरकार ने एक निर्दोष व्यक्ति को सजा के तौर पर मार दिया था और जिसके दुख में उसके दोस्त ने आत्महत्या कर ली। जिसके बाद दक्षिणी अमेरिकी लोगों ने इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे (International Friendship Day) मनाने का प्रस्ताव अमेरिकी सरकार के सामने रखा था। सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और उसके बाद से हर साल अगस्त के पहले रविवार को फ्रैंडशिप डे बनाया जाता हैं।

मित्रता पर रामचरितमानस के दोहे

आपके आस पास कई मित्र होंगे कुछ आपकी तारीफ़ करते होगे, कुछ बुराई परंतु ऐसे में आपको अपने सच्चे मित्र को पहचानना बहुत आवश्यक हैं,  मित्र एक हो तो भी चलेगा परंतु वो एक मित्र हर स्थिति में आपके साथ होना चाहिए, नीचे कुछ दोहे है जिससे आप सच्चे मित्र को तुरंत पहचान पाएंगे –

जे ना मित्र दुःख होहिं। बिलोकत पाता भारी।।

निज दुःख गिरी संक राज करी जाना। मित्रक दुःख राज मेरू समाना।।

अर्थ – रामचरितमानस की यह चौपाई कहती है कि जो मनुष्य अपने मित्र के दुख़ को अपने दुख से भी बड़ा मानता हैं और उसके दुख दूर करने में उसका सहयोग करता हैं वो ही आपका सच्चा मित्र होता हैं।

जिन्ह के असी मति सहज ना आई। ते सठ कत हठी करत मिताई॥ कुपथ निवारी सुपंथ चलावा। गुण प्रगटे अव्गुनन्ही दुरावा॥

अर्थ –  एक अच्छा मित्र बनने के लिए एक समझदार इंसान होना भी आवश्यक हैं, जिससे आपका मित्र जब भी किसी गलत राह पर जाएं तो आप उसे सही राह दिखा सकें, और अपने मित्र के सभी अवगुणों को दूर करके उसके गुणों को निखार सकें यह कार्य सिर्फ समझदार व्यक्ति ही नहीं बल्कि एक सच्चा मित्र ही ऐसा कर सकता हैं।

देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित कराई॥विपत्ति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति का संत मित्र गुण एहा॥

अर्थ –  किसी व्यक्ति के पास कितनी भी धन दौलत हो अगर वो मुसीबत पर अपने मित्र के काम ना आ सका तो वो धन व्यर्थ हैं, विपत्ति के समय अपने मित्र के हमेशा साथ रहना चाहिए और हर रूप में उसकी मदद करनी चाहिए,वेदों और शास्त्रों में भी कहा गया है कि विपत्ति के समय साथ देने वाला और स्नेह करने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता हैं।

आगे कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई॥जाकर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहीं भलाई॥

अर्थ – जो मित्र हमारे मुंह पर मीठी मीठी बातें करे और पीठ पीछे बुराई करें वो मित्र हो ही नहीं सकता, ऐसे मित्र के साथ कभी नहीं रहना चाहिए। जो मन में आपके प्रति कुटिल विचार, बुरा विचार रखता है हो वह दोस्त नहीं कुमित्र होता हैं, ऐसे लोगो को अपने जीवन से निकाल देना ही उचित है।

मित्रता हैं मोदी जी की भी विदेश नीति

मित्रता एक ऐसा रिश्ता हैं जहां नफरत की द्वेष की गुंजाइश ही नहीं हैं, इसी बात का फायदा मोदी जी भी अपने देश को विकासशील से विकसित की राह पर पहुंचाने के लिए कर रहे हैं, आज भारत अन्य देश से मित्रता के कारण अपनी एक अलग पहचान बना पाया हैं। मोदी और ट्रंप की जोड़ी मानो विश्व में कमाल कर रही हैं।

ट्रंप का नमस्ते भारत सभी देशवासियों का दिल जीत लेता हैं, मोदी और ट्रंप की दोस्ती भी एक मिशाल कायम करने को है। आज रूस हो या अमेरिका, ब्रिटेन हो या सऊदी अरबिया सब हमारे साथ काम करने को हमारी मदद करने को तैयार हैं और इसका एक मुख्य कारण हैं- मित्रता। मोदी जी की मित्रता नीति विश्व विश्व भर में प्रसिद्ध और सटीक हैं।

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prerna mishra

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