भारत चीन युद्ध : डोकलाम विवाद और भारत द्वारा लद्दाख बॉर्डर पर सड़क निर्माण के चलते चीन पिछले काफी वक्त से बौखलाया हुआ है। ऐसे में वर्तमान में दोनों देशों के बॉर्डर पर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई है। सोमवार रात गलवान घाटी से भारतीय सेना के अफसर समेत 20 जवानों के शहीद होने की खबर आई, वहीं 40 चीनी सैनिकों की मौत की भी बात कही गई। हालांकि चीनी मीडिया ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। जिसको देखते हुए एक सवाल जेहन में उठता है कि क्या इस बार भारत चीन को देगा मुंह तोड़ जवाब? या इतिहास की तरह ही इस बार भी भारत को चीन से युद्ध की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
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जहां चीन ने वियतनाम से युद्ध के बाद कोई युद्ध नहीं लड़ा है तो वहीं भारत की सेना को युद्ध का काफी अनुभव है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना चीनी सेना के मुकाबले काफी मजबूत है। जहां भारतीय सैनिकों की संख्या 12.40 लाख है तो वहीं चीनी सैनिक 9.80 लाख है। इतना ही नहीं चीन के पास भारत के लड़ाकू विमान सुखोई 30एमआई का कोई तोड़ नहीं है। साथ ही 952 मीटर/सेकेण्ड से चलने वाले ब्रहमोस भी चीन को मात देने के लिए काफी है।
इसके अलावा भारत जोकि दक्षिण एशिया के देशों में एक अलग प्रभाव रखता है, उसने अपनी सेना के आधुनिकरण को काफी महत्व दिया है। ऐसे में चीन जोकि जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है, वहां समस्याएं भी अधिक है। वर्तमान में वह देश हमेशा की तरह धमकियां तो दे सकता है। लेकिन कम संभावना है कि वह पूर्ण रूप से युद्ध के लिए तैयार हो। हालांकि ऐसा होता है तो आज पूरी दुनिया भारत से उम्मीद लगाए बैठे है। जिसके चलते चीन को यह मानना होगा कि भारत अब कमजोर नहीं रहा, बल्कि वह भी हर क्षेत्र में महाशक्ति बनकर उभरा है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन की थल सेना के लिए थियेटर कमांड ढांचा लागू कर दिया है। माना जा रहा है जोकि चीन की सैन्य शक्ति में सबसे बड़ा सुधार बनकर उभरेगा। तो वहीं चीन के पास DF-11, DF-15, DF-21 बैलेस्टिक मिसाइल है जिनका भारत के पास कोई तोड़ उपलब्ध नहीं है। इतनी ही नहीं चीन अब आधुनिक स्पेस, साइबर और लेजर हथियारों पर अधिक जोर दे रहा है।
साथ ही चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी वायुसेना है। जिसमें करीब 3.30 लाख चीनी सैनिक तैनात हैं। ऐसे में जहां भारत अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने में प्रयासरत है तो वहीं चीन की सरकार भी सैन्य सुरक्षा पर अरबों खर्च कर रही है। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि चीन भारत के आगे घुटने टेकने को तैयार हो जाएगा।
बात तब की है जब सन् 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ था। उस वक्त की बात करें तो जानेंगे कि उस दौर में भारतीय सेना के पास अच्छे जूते भी नहीं हुआ करते थे। जबकि वह युद्ध 14 हजार फुट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। लेकिन आज भारतीय सेना के पराक्रम की चीनी सैनिक तक सराहना करते नहीं थकते है। वहीं 1962 के दौर में हिंदी चीनी भाई-भाई ने भारत को मजबूर कर दिया था तो वहीं आज भारत की जनता में देश के प्रति राष्ट्रीयता की भावना कूट-कूट कर भरी है, जोकि दुनिया के सामने भारत की अंखडता और एकता का एक आईना प्रदर्शित करती है।
अगर भारत और चीन के युद्ध परिणामों की बात करें तो यह लड़ाई जितना भारत को महंगी पड़ सकती है। इसका खामियाजा उतना ही चीन को भुगतना पड़ेगा। कहते है जो देश जितना बड़ा होता है उसकी समस्याएं भी उतनी ही अधिक होती है। ऐसे में जहां भारत को दो चार आंतरिक समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है तो वहीं चीन में भी जनता और सरकार के बीच आए दिन उठा पटक चलती रहती है।
जिसके चलते दोनों देश शांति वार्ता करने को तैयार है, लेकिन देखना यह है कि आखिर हाथों से लड़ाई करती यह दोनों सेनाएं कब तक इस विवाद को सुलझा पाने में कामयाब हो पाती है।
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