Advertisment

तो क्या इस बार प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा को भी लग सकती है कोरोना वायरस की नजर?

Advertisment

जगन्नाथ रथ यात्रा में जो भक्त शामिल होकर रथ खींचते है, उन्हें सौ यज्ञ के बराबर पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भक्त रथ यात्रा के दर्शन करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

Image source:- The indian express

कोरोना काल में जहां एक ओऱ सम्पूर्ण विश्व बंदी के दौर के गुजर रहा है। तो वहीं देश और दुनिया में होने वाले बड़े-बड़े आयोजनों को भी सुरक्षा की दृष्टि से रद्द कर दिया गया है। ऐसे में ओडिशा राज्य के जगन्नाथपुरी शहर से आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा पर भी कोरोना के बादल मंडरा रहे हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि हर साल आयोजित होने वाली इस रथ यात्रा में दुनियाभर से करीब 8 लाख से ज्यादा लोग भाग लेते है। लेकिन इस बार सरकार कोरोना वायरस के मद्देनजर जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा को ओडिशा के हालातों के आधार पर निकालने की मंजूरी देगी। जिसके तहत या तो कुछ ही लोगों को यात्रा में शामिल होने की छूट मिलेगी अन्यथा रथ यात्रा को रद्द भी किया जा सकता है।

जानिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है जगन्नाथ रथ यात्रा

भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा

हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण चार धामों में से एक भगवान जगन्नाथ पुरी का मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। जहां से हर साल भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि यह रथयात्रा पुरी शहर जिसे शंख क्षेत्र और श्रीहरि क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है, में एक राष्ट्रीय त्योहार की भांति मनाई जाती रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ जिन्हें श्रीकृष्ण का अवतार माना गया है, की बहन सुभद्रा ने एक दिन भगवान जगन्नाथ से नगर देखने की इच्छा जाहिर करते हुए द्वारिका के भम्रण की बात कही। जिस पर भगवान जगन्नाथ ने अपनी बहन सुभद्रा को रथ में बैठाकर भ्रमण करवाया। तब से यह यात्रा निकाली जा रही है और लगभग इस रथ यात्रा को अब 284 साल पूरे हो गए है। इससे पहले साल 2504 में आकाम्रणकारियों के आंतक के चलते मंदिर 144 सालों तक बंद रहा, जिसके बाद कोरोना काल में यह पहली बार होगा कि रथ यात्रा स्थगित हो सकती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का शास्त्रों और पुराणों खासकर के स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण आदि में भी जिक्र मिलता है। स्कंद पुराण में कहा गया हे कि जो जगन्नाथ की रथ यात्रा में कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। वहीं जो भक्त रथ यात्रा के दौरान धूल-कीचड़ आदि में लोट-लोट कर जाते है, वे सीधे भगवान विष्णु के उत्तम धाम को प्राप्त करते है। माना जाता है कि इस रथ यात्रा में भगवान स्वंय चलकर अपने भक्तों के बीच आते है और उनके सुख-दुख सुनते है।

जगन्नाथ मंदिर में क्यों अद्धनिर्मित है मूर्तियां

भगवान जगन्नाथ

कहा जाता है कि राजा इंद्रघूम नीलांचल सागर (वर्तमान में ओडिशा राज्य) के पास रहा करते थे। जहां एक बार समुद्र में उन्हें विशालकाय काष्ठ के दर्शन हुए। जिसके बाद उन्होंने वहां भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने की सोची। तभी वहां उनको एक बढ़ई बैठा मिला, कहते है वह स्वंय विश्वकर्मा जी थे। जिनसे राजा ने मूर्ति के निर्माण की बात कही। लेकिन उस बूढ़े बढ़ई ने राजा के सामने एक शर्त रख दी कि वह मूर्ति का निर्माण उस कमरे में करेगा, जहां किसी को आने की इजाजत नहीं होगी।

राजा इंद्रघूम ने उस बढ़ई की शर्त मान ली। कई दिनों तक बढ़ई के कमरे से बाहर न आने की वजह से रानी को चिंता हुई। जिसके चलते उन्होंने राजा से कमरा खोलने को कहा। राजा ने भी शर्त भूलकर कमरे का दरवाजा खोल दिया। लेकिन जब कमरे में जाकर देखा तो वहां कोई बढ़ई नहीं था, और वहां अद्रर्धनिर्मित विष्णु, सुभद्रा और बलराम की मूर्तियां रखी हुई थी। जिसे देखकर राजा और रानी काफी परेशान हुए।

कहते है तभी एक आकाशवाणी हुई कि आप तनिक चिंता न करें बल्कि इन मूर्तियों को ऐसे ही दिव्य और पवित्र जगह पर स्थापित करवा दें। तब से भगवान जगन्नाथपुरी के मंदिर में यह मूर्तियां रखी हुई है। जोकि रथ यात्रा के दौरान भी अद्धनिर्मित ही प्रतिस्थापित की जाती है।

जगन्नाथ रथ यात्रा विशेष का महत्व

हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व है। जिस वजह से जहां ओडिशा के प्रसिद्ध गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति को लाया जाता है तो वहीं मंदिर की सफाई के लिए जल इंद्रद्युमन सरोवर से मंगाया जाता है। रथ यात्रा के दौरान भक्तों को नारियल, लाई, गजामूंग और मालपुआ का विशेष प्रसाद मिलता है। वहीं रथ यात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ (तालध्वज), उसके पीछे सुभद्रा का रथ (पद्मरथ) और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ (गरूड़ध्वज) चलता है। इस दौरान पारस्पारिक सौहार्द और सद्भावना का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है, जो अपने आपमें एक महत्वपूर्ण आयोजन है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व इस प्रकार से भी बढ़ जाता है क्योंकि यह सिर्फ ओडिशा राज्य में ही नहीं बल्कि गुजरात, असम, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, अमृतसर, भोपाल, बनारस, लखनऊ और विदेशों में बांग्लादेश, सेट फ्रांसिस्को और लंदन जैसे देशों में भी धूमधाम और श्रृद्धा से निकाली जाती है।

#सम्बंधित:- आर्टिकल्स

Advertisment
Anshika Johari

I am freelance bird.

Published by
Anshika Johari

Recent Posts

  • Indian culture

रक्षाबंधन 2024- कब, मुहूर्त, भद्रा काल एवं शुभकामनाएं

एक भाई और बहन के बीच का रिश्ता बिल्कुल अनोखा होता है और इसे शब्दों…

4 months ago
  • Essay

Essay on good manners for Students and Teachers

Essay on good manners: Good manners are a topic we encounter in our everyday lives.…

2 years ago
  • Essay

Essay on Corruption for Teachers and Students

Corruption has plagued societies throughout history, undermining social progress, economic development, and the principles of…

2 years ago
  • Essay

Speech on global warming for teachers and Students

Welcome, ladies and gentlemen, to this crucial discussion on one of the most critical issues…

2 years ago
  • Essay

Essay on Waste Management for Teachers and Students

Waste management plays a crucial role in maintaining a sustainable environment and promoting the well-being…

2 years ago
  • Analysis

Best Car Insurance in India 2023: A Comprehensive Guide

Best Car Insurance in India: Car insurance is an essential requirement for vehicle owners in…

2 years ago
Advertisment