हाल ही में केंद्र सरकार ने जून 2020 में किसानों की आर्थिक हालत ठीक करने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, यहाँ हम इन्ही बड़े कृषि सुधारों के बारे में बात करेंगे, आइये इन सुधारों के बारे में जानते हैं…
1. कृषि भण्डारण की सीमा होगी खत्म।
2. कृषि उत्पादों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में बेचने की अनुमति होगी।
3. अनाज, दाल प्याज, आलू, खाद्य तेल और तिलहन को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाया गया है।
4. कांटेक्ट फार्मिंग करने की होगी अनुमति।
विस्तार से इन सुधारों के को लेकर क्या कहा गया है, आइये जानते हैं, एक देश एक बाजार नीति से किसानों को होने वाले फायदे क्या हैं…
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हम जानते हैं कि अभी तक यह नियम था कि किसान एक सीमा से अधिक खाद्यान का भण्डारण नहीं कर सकता था और किसान को अधिक फसल पैदा होने की हालात में अपने खाद्यान्न को सस्ते दामों पर बेचना पड़ता था। लेकिन अब किसान अपने खाद्यान्न की सस्ती कीमत होने पर बेचने को बाध्य नहीं होगा और उसका भण्डारण कर सकेगा इसके साथ ही वह अब दाम बढ़ने पर अपने खाद्यान्न भंडारण को बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
नियम अभी तक यह था कि एक प्रदेश का किसान अपनी फसलों को केवल अपने प्रदेश के अंदर ही बेच सकता था भले ही फसल का मूल्य कम क्यों ना हो, लेकिन इस नीति के बाद पूरा देश एक बाजार बन जायेगा और किसान दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलों को बेच सकेंगे। ऐसा हो सकता है कि जिस राज्य में चावल ज्यादा पैदा होता है उस राज्य के किसान उन राज्यों को चावल ऊंचे दामों पर बेच सकते हैं। आपको जानना चाहिए कि इसके लिए APMC कानून में परिवर्तन किया गया है और अब किसान स्थानीय मंडियों में ही अनाज बेचने के लिए बाध्य नहीं होंगे। उम्मीद है केंद्र सरकार की ओर से उठाया गया यह कदम एक अच्छा कदम साबित होगा।
इस कार्य का परिणाम यह होगा कि किसान इन चीजों का अधिक मात्रा में उत्पादन और भण्डारण कर सकेगा और अधिक उत्पादन के समय भी इन्हें बेचने के लिए बाध्य नहीं होगा। इसके साथ ही किसान इन वस्तुओं का भण्डारण करने की छूट भी पा सकेगा। जहाँ अभी ऐसा होता था कि इन वस्तुओं की बाजार में कमी होने पर सरकार इनके भण्डारण की सीमा तय कर देती है और जिन किसानों के पास इस सीमा से अधिक आवश्यक वस्तु पायी जाती है उनके ऊपर कालाबाजारी का आरोप लगाया जाता है। लेकिन इस नियम के बाद इस कुछ नहीं होने वाला है।
इन सबके बाद आपको यह अहम बात भी बताना जरूरी है, हम जानते हैं कि वर्तमान में किसानों को सीधे तौर पर थोक विक्रेताओं और बड़े निर्यातकों से कॉन्ट्रैक्ट करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन अब आलू उगाने वाला किसान किसी चिप्स बनाने वाली कंपनी से डायरेक्ट कॉन्ट्रैक्ट कर सकेगा कि उसके लिए आलू वह सप्लाई करेगा और वह उसका अच्छा दाम भी ले सकेगा। इससे किसानों को उनकी फसलों के अच्छे मूल्य मिलेंगे।
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