ऑपरेशन ब्लू स्टार : भारतीय सेना का ना धर्म है, ना ही कोई जात है. वो केवल एक चीज़ जानते हैं, देश को नुकशान पहुंचाने वालो को तबाह करना और अपनी जान देश के नाम कुर्बान करना. ऐसे में घर के भेदी (वो लोग, जो भारत देश को बाटना चाहतें हैं) देश को गिराने की कोशिश करें, ये अच्छी बात तो नहीं है, ऐसे में इन लोगों पर जितनी जल्दी लगाम लगाईं जाए उतना ही अच्छा है.
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भारत के पोलिटिकल इतिहास में साल 1984 के जून का पहला हफ्ता बहुत खास एहमियत रखता है. उस समय की मौजूदा प्रधानमंत्री इंदरा गाँधी के आदेश पर, भारतीय सेना गुस्से से तमतमाए हुजूम में सिख धर्म के सबसे पूजनीय स्थल यानी गोल्डन टेम्पल की चार दीवारी( इमारत) के अंदर घुसते हैं. सिख धर्म के माने वाले अलगावादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले और इसके मने वालों को बाहर निकालने के लिए.
ऑपरेशन ब्लू स्टार शुरू होने के दो साल पहले ही, भिंडरांवाले ने अपना मन तथा पोलिटिकल रुझान साफ़ कर दिया तथा वो चाहता था कि भारतीय सरकार आनंदपुर रेसोलुशन को मंजूरी दे, जिसके चलते सिखों का अलग राज्य, यानी खालिस्तान बनने को मंजूरी मिल सके. तभी से उग्रवादी सिखों के रहबरों ( नेताओं) ने किसी तरह, लोगो का विश्वास तथा समर्थन हासिल करने में कामयाब हुए, इस समर्थन के चलते साल 1983 के मध्य में समर्थकों को गोलाबारूद तमाकर गोल्डन टेम्पल के काम्प्लेक्स के अन्दर अपना अड्डा जमाते हैं.
इसकी भनक भारत सरकार को लगती है, सरकार भिंडरांवाले और उसके समर्थकों से मंदिर को निज़ाद दिलाने के लिए, सरकार साल 1984 में ब्लू स्टार ओप्रेशन शुरू करती है. जो जून के पहले हफ्ते यानी 1 जून से 6 के बीच चलता है.
एक बार जब भिंडरांवाले गोल्डन टेम्पल के चारो ओर घेराबंदी कर देता है तब उस वक्त की मौजूदा प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भारतीय सेना से योजना के मुतालिक मशवरा करने को तैय करती है. इस मशवरे के मुतालिक
सेना के वाईस चीफ एल.टी जनरल एस.के.सिन्हा अपनी राए रखते है और योजना से होने वाले नुक्सान को सामने रखते है. कहते हैं गुरुद्वारा से जुड़ी धार्मिक भावनाओं और हताहत होने की आशंका देखने से मालूम पड़ता है. इसके फ़ौरन बाद एस.के.सिन्हा को पद से हटा दिया जाता है, इनकी जगह अरुण श्रीधर वैद्य सेना प्रमुख बना दिया जाता है जो आगे चलकर योजना के मुताबिक़ ब्लू स्टार ऑपरेशन को राह दिखाते हैं.
2 जून की रात भारतीय सेना आक्रामक हमला करती है जिसके चलते 3 जून को पंजाब राज्य में कर्फ्यू लगा दिया जाता है. तथा संचार और यात्रा जैसे तमाम सभी लाइनें रोक या बंद कर दी जाती है. इस ऑपरेशन का अंजाम आता है और भिंडरावाले तथा उसके समर्थकों (आतंकवादी) से साथ तमाम सेना, नागरिकों के बीच संगर्ष के चलते बहुत नुकशान होता है.
वही इस तरह के धर्मिक जगह (गोल्डन टेम्पल) पर हमले होने के चलते, सिख लोग पूरी दुनिया में इसकी खूब आलोचना करते हैं और कई सिख प्रशासनिक पदों से इस्तीफा दे देते हैं. ऑपरेशन ब्लू स्टार कुछ महीने बाद, इंदिरा गांधी के खुद के सिख अंगरक्षकों उनकी हत्या कर देते हैं जिसके बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे शुरू हो जाते हैं.
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