जब विष्णु जी के आठवें अवतार श्री कृष्ण जी का जन्म होने वाला था तो पूरी सृष्टि उनके आगमन का इंतज़ार कर रही थी, मनुष्य और भगवान तो उत्साहित थे ही, अपने पालनहार के आगमन के लिए परंतु प्रकृति ने भी अत्यंत मनमोहक रूप ले लिया था और प्रभु के स्वागत के लिए उतावली थी।
Table of Contents
कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र के दिन रात्री के १२ बजे हुआ था। । जिस समय वसुदेव-देवकी को पुत्र पैदा हुआ, उसी समय संयोग से यशोदा के गर्भ से एक कन्या का जन्म हुआ, जो और कुछ नहीं सिर्फ ‘माया’ थी। जिस कोठरी में देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। दोनों भगवान के चरणों में गिर पड़े।
तब भगवान ने उनसे कहा- ‘अब मैं पुनः नवजात शिशु का रूप धारण कर लेता हूं। तुम मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन में भेज आओ और उनके यहां जो कन्या जन्मी है, उसे लाकर कंस के हवाले कर दो। इस समय वातावरण अनुकूल नहीं है। फिर भी तुम चिंता न करो। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना तुमको पार जाने का मार्ग दे देगी।’
उसी समय वसुदेव नवजात शिशु-रूप श्रीकृष्ण को सूप में रखकर कारागृह से निकल पड़े और अथाह यमुना को पार कर नंदजी के घर पहुंचे। वहां उन्होंने नवजात शिशु को यशोदा के साथ सुला दिया और कन्या को लेकर मथुरा आ गए। कारागृह के फाटक पूर्ववत बंद हो गए।
कंस को जैसे ही सूचना मिली तो बंदीगृह में जाकर देवकी के हाथ से नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो वृंदावन में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।’ यह है कृष्ण जन्म की कथा।
हाथी चले, घोड़ा चले, और चले पालकी,
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की।
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की।
कृष्ण की लीला अपरम्पार है, नंद और समस्त वृंदावन वासी बालक का ऐसा मोहक रुप देख कर मोहित ही हो गए थे, मानो स्वयं नंद के घर भगवान पधारे हो। पूरे गांव में उत्साह का माहौल था और हर जगह गाने बजाने की शोर गुल मानो मंत्रमुग्ध कर देती हो।
भगवान श्री कृष्ण बचपन से ही नटखट थे। जितना वो नंद बाबा और यशोदा जी को तंग करते थे उतना ही वो गांव वालों को भी अपने नटखट अंदाज और लीलाओं से परेशान करते थे। कृष्ण जी अपने दोस्तों के साथ गांव वालों के माखन चुरा कर खा जाते थे। जिसके बाद गांव की महिलाएं और पुरूष कृष्ण की शिकायत लेकर पहुंच जाते थे।
तब उन्हें अपनी मां की डांट खानी पड़ती थी। नन्हें कृष्ण को कोई नहीं जानता था कि वो भगवान हैं और यशोदा दी उनकी शिकायत पर उन्हें खूब मारती थीं और बालक कृष्ण उनकी मार का भरपूर आनंद उठाते थे। अठखेलियां करना अपने मित्रो के साथ मिल कर कृष्ण की आदत थी, गोपियों को परेशान करना उनकी मटकी तोड़ना, यमुना किनारे उनके कपड़े गायब कर देना कृष्ण का प्रिय खेल था।
कहते है हर काल के अंत का समय आता हैं, और कंस का समय तो पूर्व ही निश्चित था। बस अफसोस इस बात की थी कि उसे एहसास ना हो सका, कृष्ण जी ने कंस को भरी सभा के सामने मृत्युलोक सिधार दिया था, पर कहते है ना नारायण के हाथों मृत्यु भी सौभाग्य की बात होती हैं। कंस ने अपने पापों को कम करने के बजाए कृष्ण को मारने के प्रयत्न करता रहा तो इसका फल तो उसके लिए मृत्यु ही थी।
जिसके बाद कृष्ण और बलराम ने अपनी शिक्षा गुरू महर्षि सान्दीपनि के आश्रम से करी थी । कृष्ण ने कुछ दिन द्वारका में राज करा जो आज भी प्रशिद्ध तीर्थ स्थल है । इसके पश्चात कृष्ण ने महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध में पांडवों का साथ दिया। जहाँ उन्होंने कुन्ती पुत्र अर्जुन को भगवत गीता का ज्ञान दिया। जो आज भी मनुष्य का इस जीवन में पथ प्रदर्शित करती है। इसीलिए तो :-
श्रीकृष्ण की सिखाई गई बातें युवाओं के लिए इस युग में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं, जितनी अर्जुन के लिए थीं, गीता के इन उपदेशों के जरिए कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की सारी मुश्किलों को दूर कर सकता है।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
इस गीता के उपदेश का अर्थ यह है कि भविष्य का चिंता किए बिना जो आप काम कर रहे हैं उसे पूरी दृढ़ता से करते रहना चाहिए। अगर हम मौजूदा वक्त पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करेंगे तो आपका भविष्य जरूर बेहतर होगा।
यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति।
*शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः॥
कोई भी खास काम के सफल होने पर ज्यादा उत्साहित नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से गलती के होने की आशंका बढ़ जाती है। साथ ही हमें किसी दूसरे से जलन की भावना भी नहीं रखनी चाहिए।
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणै:।।
इस पंक्ति का यह अर्थ है कि हर इंसान के लिए कोई ना कोई काम जरूर है, जो कि वह करने के लिए बाध्य है। हर इंसान में कोई ना कोई खूबी जरूर होती है। बस जरूरत होती है अपने अंदर छिपे हुए हुनर को पहचानने की। जिसके हिसाब से वह व्यक्ति काम कर सके।
कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते॥
इस पंक्ति का यह अर्थ है कि जो व्यक्ति केवल बाहर से ही यह दिखाता है कि वह अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर चुका है. लेकिन अगर उसका मन से अंदर से चलयामान होता है तो वह व्यक्ति सबेस झूठा और कपटी होता है।
चरन – कमल बंदौ हरि – राइ।
जाकि कृपा पंगु गिरी लंघै, अंधे कौन सब कछु दरसाइ।
बहिरौ सुनै, गूंग पुनि बोलैं, रंक चलै सिर छत्र धराइ।
सूरदास स्वामी करुनामय, बार बार बंदौ तिहिं पाई।
सूरदास का कृष्णा के लिए असीमित भक्ति तथा प्रेम उनकी रचनाओं में झलकता है। अपनी कल्पना से उन्होंने कृष्ण के बाल्य काल ,उनके सुन्दर स्वरुप ,और दिव्यता तथा उनकी अद्बुध लीलाओं का उल्लेख किया है
सूरदास ने कृष्ण लीला इतने जीवंत तरीके से लिखी थी जैसे उन्होंने वो अपनी आँखों से ही देखी हो। उन्होंने साहित्य लहरी,सूर सारावली,सूर सागर,नल-दमयन्ती और ब्याहलो जैसे ग्रंथो की रचना की। इनमे से सबसे मशहूर सूरसागर ग्रन्थ था। इसमें कृष्ण लीलाओं का सुन्दर वर्णन है।
जन्माष्टमी के लिए मथुरा कई दिनों पहले ही सज जाता है। मथुरा में कई कृष्ण मंदिर है जन्माष्टमी के दौरान यह पूरा शहर ही आपको इस त्योहार के जश्न में डूबा हुआ मिलेगा। यह भारत में जन्माष्टमी मनाने की शायद सबसे अच्छी जगह है। यहां कृष्ण जन्मभूमि, बांके बिहारी मंदिर और द्वारकाधीश मंदिर जन्माष्टमी के लिए बेहद खास माने जाते हैं।रास लीलाओं के आयोजन रखें जाते है, मंदिरों में लगती है झाकियां।
#सम्बंधित:- आर्टिकल्स
एक भाई और बहन के बीच का रिश्ता बिल्कुल अनोखा होता है और इसे शब्दों…
Essay on good manners: Good manners are a topic we encounter in our everyday lives.…
Corruption has plagued societies throughout history, undermining social progress, economic development, and the principles of…
Welcome, ladies and gentlemen, to this crucial discussion on one of the most critical issues…
Waste management plays a crucial role in maintaining a sustainable environment and promoting the well-being…
Best Car Insurance in India: Car insurance is an essential requirement for vehicle owners in…