Indian law

भारतीय संविधान:एक परिचय

किसी भी राष्ट्र के लिये एक आदर्श का होना बहुत जरुरी है।   मसलन एक राष्ट्र क्या है, कैसे काम करता है, या फिर इसका विधिपूर्वक सन्चालन कैसे  होना चाहिये, ये एक मूलभूत सिद्धांत है। दुनिया का हर एक देश का एक आधारभूत कानून है जो इसके शासन व्यवस्था को प्रदर्शित और निर्देशित करता है। महान विधिवेत्ता केल्सन ने ऐसे दस्तावेज को किसी देश के कानून का आधार और सारे अन्य विधियो का स्रोत कहा है।

विश्व के अन्य देशो की ही तरह भारत भी एक संवैधानिक देश है और इसमे विधि का शासन है जो हर एक व्यक्ति को सुरक्षा, अधिकार, और समानता प्रदान करता है। दुनिया मे अधिकांश देशो मे विधी का शासन है, और लगभग सारे ही देश संविधान से शासित होते है( कुछ देश जो लोकतान्त्रिक नहीं  है उनमे नाममात्र का ही संविधान है, वही कुछ राष्ट्र जैसे ब्रिटेन के पास लिखित संविधान है)। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसमे करीब 465 (395 वास्तविक निर्मित संविधान) अनुच्छेद है और यह 25 भागो में विभाजित है ( संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान मे 22 भाग  थे 3 बाद में किये गये संसोधनो से जोडा गया)। 

इसके अलावा संविधान में 12 अनुसूचीयां है जिनमे  विभिन्न प्रावधान दिये  गये है। संविधान का निर्माण  पराधीन भारत में गठित संविधान सभा ने किया था,जिसका गठन 1946 में हुआ था। संविधान का निर्माण करने में सभा को करीब 2 साल 11 महिने और 18 दिन का समय लगा और अंतत: 26 नवम्बर 1949 को हमारा संविधान अंगीकृत और राष्ट्र को समर्पित किया गया था। अंगीकृत करने के करीब 2 महिने बाद 26 जनवरी 1950 को यह पूरे देश में लागू हुआ  था। हालांकि इसके कुछ प्रावधान जैसे नागरिकता, लघु शीर्षक आदी 26 नवम्बर को ही लागू कर दिये गये थे।संविधान को निर्मित करने में सभा के अध्यक्ष डा. राजेन्द्र प्रसाद, विधिक सलाहकार बी.एन.राऊ, डा.बी.आर. अम्बेडकर, पं.जवाहर लाल नेहरु, प्रो.के.टी.शाह आदी लोगो ने उल्लेखनीय योगदान दिया। भारत का संविधान एक वृहत और परिपूर्ण दस्तावेज है जो मूल अधिकार, मूल कर्तव्य, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, राज्य और केंद्र के सम्बन्ध, संवैधानिक सन्शोधन, आपातकाल, संसद और अन्य महत्वपुर्ण   विषयो से जुड़े  प्रावधानों पर चर्चा करता है और विधि के शासन को सुदृढ़ करता है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना इसके मूलसार है जो संविधान के आदर्शो को उल्लेखित करता है और भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक व गणतान्त्रिक राज्य के रूप में स्थापित करता है।

भारत का संविधान समाजिक और आर्थिक न्याय, जैसे उद्देश्यो और देश की एकता और अखंडता को कायम रखने का आदर्श स्थापित करती है। भारतीय संविधान का निर्माण विश्च के अग्रणी संविधानो के तुलनात्मक अध्ययनों के बाद हुआ है, मसलन हमने ब्रिटेन से संसदीय कार्यप्रणाली व रिट , संयुक्त राज्य अमेरिका से न्यायिक  समीक्षा, आयरलैंड से राज्य के नीति निर्देशक तत्व, जर्मनी से आपातकाल, कनाडा से संघात्मक प्रणाली व राज्यपाल की न्युक्ति  आदी कई विशेष चीजे अपने आवश्यकता और परिदृश्य के हिसाब से समाहित की। तमाम विविधता और आर्थिक समाजिक और भौगोलिक असमानता के बावजूद भारतीय संविधान ने देश को एक सुत्र में पिरोये रखा।

संविधानवाद और संवैधानिकता का ध्यान रखते हुये, समय के साथ बदलते हुये (अबतक संविधान में 104 संशोधन हुये है) आज भी अपने उदेश्यों को परिपूर्ण कर रहा है।

Tags

One Comment

  1. Well Done, Aishwarya Gaurav and Knowledgeocean. This is a very brief, crisp and wonderful introduction of Constitution. Keep up the good work. Please write further Articles.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close
Close