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यूनान के महान् दार्शनिक सुकरात जिन्हें मिली थी विष का प्याला पीने की सजा……से जानिए जीवन में परिवर्तन का रहस्य

जीवन में परिवर्तन का रहस्य यह है कि आप पुरानी चीजों से लड़ना छोड़े और  नई चीजों के निर्माण में पूरी तरह से अपना ध्यान लगा दें।

-महान् दार्शनिक सुकरात के विचार

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महान् दार्शनिक सुकरात

कुछ इसी तरह के विचारों से ओत प्रोत यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात का जन्म एथेन्स (यूनान) के सीमाप्रांत एक गांव में 469 ईसवी पूर्व हुआ था। प्रारंभ से ही सुकरात को लोग एक अच्छे वक्ता के रूप में पसंद किया करते थे। साथ ही वह गांव के लोगों को शिक्षा और विज्ञान का महत्व समझाया करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने एथेस की सेना में नौकरी कर अपनी वीरता का भी लोहा मनवाया।

भारत की भूमि पर जैसे महान लोगों ने जन्म लिया। ठीक उसी प्रकार से विदेशों की जमीं पर भी कई ऐसे लोग पैदा हुए। जिन्होंने दुनिया को नए नजरिए से सोचने पर मजबूर कर दिया। एक ऐसे ही अनमोल रत्न थे सुकरात।

जब सरकार ने दी थी विष का प्याला पीने की सजा

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विष का प्याला पीने की सजा

जब हम किसी विशाल वटवृक्ष के नीचे खड़े होकर विस्मय विमुग्ध होकर उसके विस्तृत आयतन के बारे में सोचते है। तो प्रश्न उठता है कि आखिर यह विशाल वृक्ष कभी सरसों के दाने के भीतर छुपा हुआ था। ठीक उसी प्रकार से जब सुकरात का जन्म हुआ तब किसने सोचा था कि यह नन्हा बालक कभी दार्शनिक कहलाएगा।

सुकरात ने कभी आरामपसंदगी से जिन्दगी नही गुजारी। वह शुरुआत से ही ज्ञान के संग्रह और प्रसार को लेकर कार्य़रत थे। और पुरानी रूढ़िवादी सोच का पुरजोर विरोध किया करते थे। क्योंकि उनका सोचना था कि जब तक कोई घटना आंखों के सामने घटित न हो तब तक उसको सच नहीं मानना चाहिए।

हालांकि सुकरात ने बहुत बड़े-बड़े दर्शन से जुड़े लेख नहीं लिखे है, वह तो उनके शिष्यों के संस्कार है। जिन्होंने अपने गुरू की हर बात को लिखना जरूरी समझा औऱ वही बातें आज हमारे जीवन को सच्चाई से जीने के लिए लिए मील का पत्थर साबित हो रही है। सुकरात ने जीवन से जुड़े हर विषय पर अपने गहरे जज्बात प्रस्तुत किए है। जैसे चाहे वह शिक्षा, गृहस्थी, विज्ञान और दर्शन ही क्यों न हो। हर विषय पर उनका अपना अलग नजरिया हुआ करते थे।

यह बात है 399 ईसा पूर्व की, जब यूनान की सरकार ने सुकरात पर मुख्यता तीन आरोप लगाए थे। पहला कि सुकरात देवी-देवताओं में विश्वास नहीं करते थे, दूसरा वह शहर के युवाओं को पथ भ्रष्ट बना रहा है। तीसरा कि वह राष्ट्रीय देवताओं की जगह काल्पनिक देवताओं की स्थापना की बात करते थे। जिससे नाराज होकर यूनान की अदालत ने सुकरात को विष का प्याला पीने की सजा सुनाई थी। और सुकरात ने हंसते-हंसते प्याले को गले से लगा लिया था।

सुकरात के अनमोल विचार

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दार्शनिक सुकरात
  • झूठे शब्द न सिर्फ़ अपने आप में बुराई हैं, बल्कि वे मनुष्य की आत्मा को भी दूषित कर देते हैं।
  • गौरव पाने का सबसे आसान तरीका है कि आप वही बनने का प्रयत्न करें, जो आप बनना चाहते हैं और जो सोचते हैं।
  • प्रकृति ने हमें दो कान, दो आंखें, किंतु एक जीभ दी है, ताकि हम बोलने से ज्यादा सुने और देखें।
  • जो आपके सभी शब्दों और कार्यों की प्रशंसा करते हैं, उन वफादार लोगों के बारे में नहीं बल्कि उनके बारे में सोचें, जो आपके दोषों पर सहृदय फटकार लगाते हैं।
  • केवल अत्यंत अज्ञानी या अत्यंत बुद्धिमान लोग ही परिवर्तन का विरोध कर सकते हैं।
  • याद रखें कि मानवीय मामलों में कुछ भी स्थिर नहीं है, इसलिए समृद्धि में अनुचित उत्साह से बचें या प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुचित अवसाद से बचें।
  • यदि किसी व्यक्ति को अपने धन पर गर्व है, तो उसकी प्रशंसा तब तक नहीं की जानी चाहिए, जब तक यह ज्ञात नहीं हो जाता कि उसने उसे कैसे नियोजित किया है।
  • सबसे सरल और भद्र तरीका दूसरों को दबाने का नहीं, बल्कि खुद को सुधारने का है।
  • सबसे अमीर वह है, जो थोड़े में संतुष्ट है, क्योंकि संतुष्टि प्रकृति की दौलत है।
  • एक ईमानदार आदमी हमेशा एक बच्चा होता है।

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Anshika Johari

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