पूरी दुनिया इस घातक वायरस से निपटने के उपाय तलाश कर रही है, तभी भारत सरकार ने भी इससे निपटने के लिए कई पूर्व उपाय किए हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने कोरोनोवायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए पीने के पानी पर राज्य सरकारों को एक एडवाइज़री जारी की है। जिसमें COVID-19 के कारण देशव्यापी लोकडाउन के दौरान सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के की बात कही गई।
हम जानते हैं कि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए अब तक का सबसे प्रभावी और कुशल उपाय है बार-बार हाथों को साबुन से धोते रहना। इस प्रकार, वायरस की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकारों को एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सभी नागरिकों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सेनिटाइज़र उपलब्ध नहीं हैं, वहां सुरक्षित पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है।
इस एडवाइजरी में यह कहा गया है कि राज्य सरकारों के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभागों, बोर्डों या निगमों को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा, जहां भी आवश्यक हो, सुरक्षित पीने योग्य पानी सुनिश्चित करने के लिए पानी का रासायनिक उपचार किया जाना चाहिए। वहीं क्लोरीन की गोलियाँ, ब्लीचिंग पाउडर जैसे रसायन को शुद्ध करना और आवश्यकता पड़ने पर सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल, फिटकरी आदि का उपयोग करना चाहिए। इस पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) आगे राज्य सरकारों को पानी शुद्ध करने वाले रसायनों और उनकी उपलब्धता पर नज़र रखने की सलाह देता है। वहीं ग्रामीणों को किट का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और पानी के आवधिक परीक्षण पर सलाह दी जानी चाहिए।
इसके अलावा मास्क, सैनिटाइज़र आदि पीएचईडी के अधिकारियों को प्रदान किए जा सकते हैं, विशेष रूप से वे जो खेतों में पानी की आपूर्ति का प्रबंधन और रखरखाव कर रहे हैं। यदि कर्मचारी संक्रमित हो जाता है, तो पीने योग्य पानी की निर्बाध और सुरक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए।
एडवाइज़री में शामिल किया गया है कि महामारी और परिणामी लॉकडाउन के दौरान, पानी की मांग बढ़ सकती है। इस प्रकार, सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक स्टैंड पोस्ट से पानी लाने के लिए घंटों की आपूर्ति बढ़ाई जानी चाहिए।
साथ ही शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि पानी की आपूर्ति में किसी भी रुकावट को तुरंत ध्यान में लाया जाए और पानी की आपूर्ति को बहाल करने के लिए समय पर कार्रवाई की जा सके।
यह सच है कि भारत कई वर्षों से स्वच्छ जल तक पहुंच की कमी से गुजर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भूजल स्तर गिर रहा है, कृषि और औद्योगिक क्षेत्र से पानी की मांग बढ़ रही है, प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, आदि इसके अलावा, जलवायु में परिवर्तन ने भारत में पानी की कमी को बढ़ा दिया है।
बात अगर जल संसाधन मंत्रालय की करें टी इसके 2017 के आंकड़ों के अनुसार, 2001 में औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1820 क्यूबिक मीटर से घटकर 2011 में 1545 क्यूबिक मीटर हो गई।
वहीं वाटरएड की 2018 की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया के शीर्ष 10 देशों में शामिल है, जहां घरों के करीब साफ पानी की सबसे कम पहुंच है, जहां 16.3 करोड़ लोगों के पास साफ पानी नहीं है। यह समस्या एक बड़े संकट के रूप में सामने आ रही है।
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