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राज्य सभा : विश्लेषण

Parliament

भारतीय विधि की आत्मा भारतीय संसद में बसती है। प्राय: संसद ही देश के लिये कानून बनाती है, और देश को सुचारु रूप से चलाने  में सहयोग करती है। संसद के तीन भाग है- लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति, इन तीनो के विधायी काम में आपसी सामन्जस्य होता है। लोकसभा के सदस्य जनता के मतों के द्वारा चुने जाते है तो वही राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा,राज्यसभा और राज्य के विधायिका के निर्वाचित सदस्य करते है।

राज्यसभा सदस्यो का चयन भी अप्रयत्यक्ष तरीके से  किया जाता है और इसमें राज्यों के विधायी सदस्य हिस्सा लेते है।

राष्ट्रपति राज्यसभा मे  12 सदस्यो को मनोनीत करता है जो विज्ञान, कला, समाजसेवा और सहित्य के मनोनीत व्यक्ति होते है। संविधान के अनुच्छेद 80 में इसका प्रावधान दिया गया है।

राज्य सभा में कुल 250 सीटे है, जिनमे 238 सदस्य संविधान की आठवीं अनुसूची में दिये गये सीटों के हिसाब राज्यो में विभाजित किये गये है। उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक 31 सदस्य चुने जाते है।

राज्यसभा के लिये योग्यता:-

राज्यसभा का सदस्य होने के  लिये या चुने जाने के लिये किसी भी व्यक्ति के पास  निम्नलिखित योग्यता होनी चाहिये।

1. व्यक्ति 30 वर्ष से उपर की आयु का हो।

2. व्यक्ति भारत का नागरिक हो।

3. वो किसी अन्य लाभ के पद पर ना हो।

4.व्यक्ति किसी और सदन का सदस्यना हो, अगर हो तो वो उस पद का परित्याग कर दे।

5. व्यक्ति दल बदल अधिनियम या अस्पृश्यता अधिनियम मे दोषि ना साबित हो। 6.किसी भी अन्य कानून में वो इस पद के लिये अयोग्य ना घोसित किया गया हो।

राज्यसभा का कार्यकाल और भंग होने की स्थिति:-

राज्यसभा एक लगातर चलने वाला सदन है जो कभी भी भंग नही होता है, इसके 1/3 सदस्य हर 2 साल में सेवानिवृत होते रह्ते है। हालांकि एक सदस्य एक बार के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद भी दोबारा निर्वाचित किया जा सकता है। अर्थात कोई सदस्य 6 वर्ष का कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी दोबारा निर्वाचित हो सकता है।

राज्यसभा का मह्तव:-

राज्यसभा के पास आम विधेयको में लोकसभा के सदस्यो के तरह ही अधिकार होते है। जबकी धन विधेयक में ही राज्यसभा के अधिकार लोकसभा से कम अधिकार होते है( धन विधेयक के मामले में राज्यसभा के संशोधनो को मानने के लिये लोकसभा बाध्य नहीं है। न ही राज्यसभा उसे नामंजूर कर सकता है)।

हालांकि आम विधेयक की तरह संवैधानिक संशोधन विधेयक में राज्यसभा को समान अधिकार है। राज्यसभा और लोकसभा के बीच में किसी टकराव की स्थिति में संसद का संयुक्त अधिवेशन  (जॉइंट सेसन) बुलाया जाता है। अबतक देश मे बस 3 बार संयुक्त अधिवेशन  बुलाया गया है। संयुक्त अधिवेशन  का प्रावधान अनुच्छेद 108 में दिया गया है।

राज्यसभा के विशेष अधिकार:- 

संविधान में राज्यसभा के दो विशेष अधिकार और शक्तियों का उल्लेख किया है जो निम्न है- 

1. राज्यसभा अनुच्छेद 312 मे कोई प्रस्ताव पारित करके किसी अखिल भारतीय सेवा की स्थापना कर सकती है।

2. अनुच्छेद 249 के अन्तर्गत राज्यसभा किसी भी राज्य के विषयवस्तु पर कानून बनाने के लिये प्रस्तावित कर सकती है।

राज्यसभा की उपयोगिता:- 

उपरोक्त दिये विशेष शक्तियो के अलावा राज्यसभा के कई अन्य भी उपयोगिता है जो निम्नलिखित है:- 

1. राज्यसभा मे अनुसूची 4 के हिसाब से सभी राज्यो का प्रतिनिधित्व दिया गया है,जिससे सन्घवाद को प्रबलता मिलती है।

2. कई प्रबुद्ध और विशेष योग्य लोग जो प्रत्यक्ष चुनाव में नहिं जीत सकते उन्हें राज्यसभा से न्याय के निर्माण में शामिल किया जाता है।

3.राज्यसभा कई बार बहुमत वाली लोकसभा पर अंकुश लगाती है।

भारत में अबतक 3 प्रधानमंत्री राज्यसभा से ही चुने गये है- श्रीमती इन्दिरा गाँधी, एच.डी.देवेगौड़ा और श्री मनमोहन सिंह।

हालांकि 6 बार देश में राज्यसभा को भंग या समाप्त करने  के लिये विधेयक लाये गये पर वो असफल रहे।

राज्यसभा भारतीय संसद का अभिन्न अंग है और यह समय समय पर भारतीय व्यवस्था को सुदृढ़ करती है।

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