राव जोधा ने की 1459 में जोधपुर की स्थापना,आइये जाने क्या है इस शहर की खासियत….
जोधपुर, राजस्थान का दूसरा बड़ा और आधुनिक शहर माना जाता है यहाँ किसी ज़माने में इसी नाम से राजा महाराज राज करते थे. एक जमाने में जोधपुर किंगडम ऑफ़ मरवा का राजधानी हुआ करता था, जिसे मौजूदा समय में राजस्थान के नाम से जाना जाता है. जोधपुर एक लुभावनी सुंदर शहर है जो पर्यटकों को लुभाने में कोई कसर बाकि नहीं छोड़ता है. शहर जोधपुर को राजस्थान के संस्कृति शहर के तौर पर तथा ब्लू सिटी (जोधपुर शहर के ज्यादातर घरों का रंग नीला है जिसके चलते इसलिए भी ब्लू सिटी कहा जाता है) और सन सिटी के तौर पर भी जाना जाता है.
शहर का किला मेहरानगढ़ सबसे पुराना है जो चरों तरफ से घिरा हुआ है. शहर में पढाई लिखाई के बड़े नामी संस्थान भी है जैसे ऐइम्स जोधपुर, आई.आई.टी जोधपुर, एन.आई.एफ.टी जोधपुर, वही शहर सरोध संस्थानों में भी आगे है.
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जोधपुर शहर की स्थापना
राव जोधा ने 12 मई 1459 को राजस्थान के शहर जोधपुर की स्थापना की थी. जो राजपूतों के राठौड़ वंश के मुखिया थे और अपने आपको रामायण के वीर नायक राम के वंशज मानते थे.
गुज़ारा हुआ कल
अंग्रेजोंके समय में जोधपुर राजपुताना का बड़ा हिस्सा माना जाता था, जो सुख और शांति के साथ मिल जुलकर रहता था. 1857 की लड़ाई जिसे आज़ादी की पहली लड़ाई के तौर पर माना जाता है इस दौरान जोधपुर के राजपूतों ने विद्रोह शुरू करा दिया और पूरे राजपुताना में अग्रेजों के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था. इसके बाद भी कुछ ऐसे भी राजपूत थे जो अंग्रेजों की चाटुकारिता करते थे लेकिन उनकी तादाद काम थी.
1947 में भारत आज़ाद हो गया. उस समय राजपुताना, राजस्थान में तब्दील हो गया और जोधपुर दूसरा बड़ा शहर बन गया. लेकिन जोधपुर के राजा हनवंत सिंह भारत में मिलने के बजाये आज़ाद रहना चाहते थे. बाद में भारत आयरन मैन सरदार वल्लभभाई पटेल के कहने पर जोधपुर भारत खास हिस्सा बन गया.
क्यों है जोधपुर की अलग पहचान
जोधपुर एक बेहद खूबसूरत शहर है जहाँ नीले रंग के घर मानो समुन्दर की तरह लगती है. शहर का पुराना मेहरानगढ़ किला इतना उच्चा है के लगता है उसकी उचाई आसमा में घर कर रही है.
उत्कृष्ट हस्तशिल्पों से भरपूर संग्रह का रंगीन प्रगर्शन देख कर जोधपुर के बाजारों में खरीददारी करना एक उत्साहपूर्ण अनुभव है। बंधेज का कपड़ा, कशीदाकारी की हुई चमड़े, ऊँट की खाल, मखमल आदि की जूतियाँ, आकर्षक रेशम की दरियाँ, मकराना के संगमरमर से बने स्मृतिचिन्ह, उपयोगी व सजावटी वस्तुओं की विस्तृत किस्में आदि इन बाजारों में पाई जाती हैं. जो मानो अपने ओर हाथ पकड़ कर खींचती है. जोधपुर राजस्थान की न्यायिक शहर होने के नाते यहाँ पर उच्य न्यायालय भी स्थित है तथा हवाई अड्डा होने के नाते पर्यटकों का साल भर ताता लगा रहता है.