AnalysisHistoryभारत चीन न्यूज़

भारत चीन तनाव का ऐतिहासिक अवलोकन

भारत चीन तनाव

भारत चीन तनाव के बीच चले तनाव पर कुछ मीडिया चैनल्स ने अपनी TRP बढ़ाने के लिए युद्ध और परमाणु हथियारों की बातें
कर रहे हैं और दोनों तरफ के शास्त्रों अस्त्रों की गिनती करने लगे !

परन्तु इसे मीडिया संस्था न केवल गलत कर रहे बल्कि ऐसा बताकर जन मानस की भावनाओ को भी प्रभावित कर रहे हैं, परन्तु क्या ऐसे संस्थान इस बात को भूल जाते हैं की भारत विश्व की एक महाशक्ति तो हैं ही परन्तु विश्व को शांति का मार्ग दिखाने वाला विश्व गुरु भी हैं और इसकी झलक भारत की विदेश नीति से लेकर उसके इतिहास में भी मिलती हैं इसमें शांति की राह में एक नाम भारत के एक महात्मा गाँधी का भी हैं जिन्होंने न एकल भारत में शांति और अहिंसा को बढावा दिया बल्कि दुसरे विश्व युद्ध में हिटलर जैसे तानाशाह को पत्र लिख कर उसको सुमार्ग दिखने का भी प्रयास किया ताकि विश्व को शांति की स्थापना हो सके !

गाँधी जी का परमाणु हथियारों के सम्बन्ध में मत और राजाजी के नेतृत्व में गाँधी पीस डेलिगेशन का अमेरिका गमन

महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी

परन्तु आज के वैश्वीकृत और पूंजीवादी ने विश्व में अनेक परिवर्तन लाये हो परन्तु गाँधी जी के विचार आज भी बहुत ज्यादा
प्रासंगिक हैं और हाल कि चाइना और भारत के तनाव की घटना भी इसका उद्धरण हैं जिसके लिए हमको ना केवल महात्मा के विचार जानने की जरूरत हैं अपितु कुछ अन्य ऐतिहासिक बातो को भी जानना जरुरी हैं क्योकि एक देश अपने अतीत से सीखकर अपने भविष्य का निर्माण करता हैं अंत हालिया भारत चीन और परमाणु हथियारों के संबंध में दो तथ्य बहुत विचारणीय हैं एक बार गांधी जी ने कहा था कि परमाणु हथियार विज्ञान का एक अभिशाप हैं और इसी से प्रेरणा लेकर 1962 में सी राजगोपालचारी जी की अध्यक्षता में एक गांधी पीस डेलिगेशन अमेरिका गया वहा उन्होंने कुछ विश्वविद्यालय में भाषण दिए और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी को परमाणु हथियारों की विभिषक्ता और विश्व शांति के लिए इसके निरस्तीकरण की बात समझाई ।

साम्यवादियो का भारत की परमाणु नीति के प्रति रुख और उसका दोहरा चरित्र

दूसरा तथ्य 1998 से संबंधित हैं जब अटल जी की सरकार ने परमाणु परीक्षण किया और तब सीपीआईएम के
महासचिव हरिकिशन सिंह सुरजीत ने इसे इसे राजनीतिक समर्थन के लिए उग्र राष्ट्रवाद को बढ़ाने के लिए अपना
गया कदम कहा और दिसंबर 1998 में सीपीआईएम ने अपने एक प्रेस रिलीज में कहा इस कदम को वापस लिया
जाए, भारत की नीति स्वतंत्र और शांति से प्रेरित होनी चाही हैं ।

communist
कम्युनसिम

पहली नजर में यह लग सकता है कि कम्युनिस्ट भी वही बात कर रहे थे जो गांधी जी के विचारों से प्रेरित थी परन्तु दोनों के बीच बहुत ही बड़ा आधारभूत अंतर हैं पहला जहां गांधी जी और गांधीवादियों का उद्देश्य विश्व शांति, मानवता और विश्व कल्यण से प्रेरित था

वहीं कम्युनिस्टों के उद्देश्य का आधार दोगलापन था उनको लगता था कि अगर परमाणु हथियार लाल सत्ता अर्थात् कम्युनिस्ट सत्ता के पास हैं तो उचित हैं और इसीलिए उन्होंने कभी भी अपने वैचारिक पिताओं सोवियत संघ और चीन की नीतियों का कभी विरोध नहीं किया ।

गांधी और गांधीवादियों की विचारधारा किसी देश की गुलाम नहीं रही वहीं कम्युनिस्ट विचारधारा गुलामी और भक्ति से प्रेरित रही हैं और इसीलिए सीपीआईएम और उसके नेता 1962 अपनी चीनी भक्त के कारण चीन को आक्रांता देश नहीं मानते और इसीलिए इस बात को जानते हुए कि चुकि चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण किया था,जो 1967 में परमाणु संपन्न हो गया था और इस बात को जानते हुए कि भारत द्वारा किया गया परीक्षण और परमाणु नीति आक्रामक नहीं रक्षात्मक हैं इन्होंने इसका विरोध किया ।

उनकी आलोचना का उद्देश्य केवल भारत की नीति को प्रभावित कर कमजोर करना और चीनी हितो को पोषित करना था । एक और आधारभूत अंतर जो इन बातो से निकलता है वह यह हैं कि जहां गांधी और गांधीवादी विचारधारा अहिंसा के से प्रेरित हैं जिसमें अहिंसात्मक साधनों द्वारा समाज में मूलभूत परिवर्तन लाना है, वहीं साम्यवादी विचारधारा का आधार हिंसा हैं जिसमें हिंसात्मक साधनों का प्रयोग करके वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेकना हैं और इसी हिंसा आधारित विचारधारा से शान्ति की बाते मात्र साजिश और दोगलापन हैं ।

आज के सन्दर्भ में ये बातें

आज जब विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा था तब आज विश्व में अनेक मुद्दों को इसकी आड़ में छुपाया और दबाया जा रहा हैं और इसमें वह परमाणु निरस्त्रीकरण की संधियाँ भी शामिल हैं जो अमेरिका और कम्युनिस्ट रूस के बीच हुई थी और जो अगले वर्ष समाप्त हो रही हैं, इसमें कम्युनिस्ट वहीं को लेकर भी संदेह बना हुआ हैं परन्तु आज वह कम्युनिस्ट जो अपने आपको अंतर्राष्ट्रीयवादी मानकर विश्व के मुद्दों पर बोलते हैं आज अपने वैचारिक नेताओ की इन हिंसक और शांति विरोधी नीतियों पर खामोश हैं !

#सम्बंधित:- आर्टिकल्स

Tags

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close
Close