सुरलीन कौर विवाद :क्या है इस्कॉन और कॉमेडियन सुरलीन कौर विवाद की कहानी…जानिए दुनियाभर में इस्कॉन की लोकप्रियता के कारण
सुरलीन कौर विवाद : विश्व के सबसे पुराने सनातन धर्म के अनुसार जो मनुष्य अपने कर्म के साथ अपने धर्म के प्रति हमेशा कृतघ्नपूर्ण रहता है वह ही सच्चा मनुष्य है। इसके विपरीत जो व्यक्ति अपने धर्म और वेदों के प्रति सच्ची आस्था नहीं रखता है उसका सर्वनाश निश्चित है। कुछ इसी तरह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दुनियाभर में एक संस्था कार्यरत है जोकि विभिन्न जातिओं से उठकर लोगों को कृष्ण भक्ति से जोड़ती है। साथ ही विशेषकर के भागवत् गीता जैसे हिंदू महाग्रंथों के उपदेशों की सार्थकता को लेकर काम कर रही है।
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इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) का इतिहास
जी हां हम बात कर रहे है दुनियाभर में लोकप्रिय इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) की, जिसकी स्थापना 1966 में ए.सी.भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने न्यूयॉर्क में की थी। वर्तमान समय में इस संस्था से दुनिया में लगभग पचास लाख से ज्यादा लोग जुड़ चुके है और भारत समेत यूरोपीय और पश्चिमी देशों में इसके 150 से अधिक धार्मिक स्थल, 12 शिक्षण संस्थान और कई रेस्तंरा (वैदिक तारामंडल, श्री मायापुर चंद्रोदय मंदिर, श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर, वृंदावन, वृंदावन चंद्रोदय मंदिर, बैंगलोर, श्री श्री पार्थसारथी मंदिर, नई दिल्ली, यूरोप, राधेश, बेल्जियम, बेल्जियम में भक्तिवेदांत कॉलेज, भक्तिवेदांत जागीर, वाटफोर्, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और आस्ट्रेलिया) है।
वहीं दूसरी ओर इस्कॉन को विश्वभर में वैदिक मूल्यों को जीवित रखने के लिए जाना जाता है। इस्कॉन की लोकप्रियता के बारे में कई शिक्षाविदों ने लिखा है जिसमें हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डायना ईक ने इस्कॉन को मानव जाति के जीवन में उच्च धार्मिक स्थान रखने वाली संस्था के रूप में वर्णित किया है। तो वहीं डॉ. ए. एल. बाशम ने कहा है कि इस्कॉन को बीस वर्षों से भी कम समय में पूरे पश्चिम में जाना जाने लगा है। जानकारी के लिए बता दें कि इस्कॉन के सदस्य साहित्य, कला, योग, भक्ति, शिक्षा और भोजन जैसी समाज कल्याण की परियोजनाओं को लेकर भी हमेशा प्रयासरत रहते है।
इस्कॉन और कॉमेडियन सुरलीन कौर विवाद
हाल ही में इसी संस्था के सदस्यों को लेकर मशहूर स्टैंडअप कॉमेडियन सुरलीन कौर ने एक विवादित बयान दिया। जिसके चलते धार्मिक संस्था इस्कॉन ने सुरलीन कौर ग्रोवर औऱ एंटरटेनमेंट कंपनी शेमारू के खिलाफ शिकाय़त दर्ज कराई है। जिसमें इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमन दास की ओर से जारी शिकायती पत्र में कहा गया कि सुरलीन कौर का बयान है कि यह इस्कॉन वाले अंदर से सब हरामी पोर्न वाले है। जिन्होंने थोड़ी सी संस्कृत का उपयोग करके अपने बड़े-बड़े कांड छुपा लिए है। सुरलीन कौर के इस बयान के बाद से ही सनातन धर्म और दुनियाभर के हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की आस्था को काफी ठेस पहुंची। जिसके चलते लोगों ने सुरलीन कौर के साथ ही शेमारू कंपनी पर भी कार्ऱवाई करने को कहा है। बता दें कि मुद्दा गरम होने पर सुरलीन कौर अंडरकवर हो गई है।
हालांकि उन्होंने अपने इस बयान के लिए माफी मांगी है लेकिन इस्कॉन जैसी संस्था जिसने विश्वभर के लाखों लोगों को सादा जीवन और हरे राम, हरे कृष्णा से परिचित करवाया। उसके सदस्यों के लिए इस तरह की अपमानजनक भाषा का प्रयोग एक तरह के प्रहार की भांति है। जिसका प्रायश्चित माफी कदाचित नहीं हो सकता, क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति के चक्कर में हम अपने वेदों की बलि कभी नही चढ़ाएंगे। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि सुरलीन कौर जैसे लोग जो धर्म और संस्कृति के लिए घातक है। उनके प्रचार प्रसार को रोकने के लिए हम क्या कर सकते है जिससे हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुसज्जित और संस्कारित समाज देने में सफल हो सके।
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