परमाणु हथियार: इतिहास और इन्हे नियंत्रित करने के लिए वैश्विक प्रयास
वर्तमान समय में विश्व का सबसे खतरनाक हथियार परमाणु हथियार को माना जाता है। इस हथियार का प्रभाव पूरा विश्व द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत में देख चुका है। जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी नामक दो शहरों पर परमाणु बम गिराया गया था। इसे अधिकतर लोग विश्वयुद्ध की समाप्ति मानते हैं।
हाँलाकि विशेषज्ञों का यह मानना था कि अगर यह बम न भी गिराया गया होता तब भी विश्वयुद्ध समाप्त हो जाता। यह एक विवादित मुद्दा ज़रूर है पर यह ज़रूर स्पष्ट है कि परमाणु हथियार किसी भी प्रकार से लाभकारी नहीं सिद्ध हो सकता है। यह सम्पूर्ण मानवजाति को एक झटके में समाप्त करने की ताकत रखता है।
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हिरोशिमा : एक नसीहत
अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था। इस बम का नाम ‘लिटिल बॉय’ था। आंकड़े कहते हैं कि इस बम से पलक झपकते ही लगभग एक लाख चालीस हजार लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त हिरोशिमा की कुल आबादी लगभग 3.8 लाख थी। यह सिलसिला मौतों तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि अनेक लोग इस बम के प्रभाव से उत्पन्न विकिरणों से मर गए।
आने वाली अनेक पीढ़ियाँ भी इसके प्रभावों से अछूती नहीं रहीं। विकिरणों की वजह से अनेक अपंग पीढ़ियाँ पैदा हुई। इसी विभीषिका को याद करने के लिए तथा परमाणु हथियारों को रोकने के लिए हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। यहाँ जानने योग्य है कि इसके तीन दिन बाद ही नागासाकी में ‘फैट मैन’ नाम का परमाणु बम 9 अगस्त को गिराया गया । इस प्रकार जापान परमाणु बम का पहला और अभी तक का आख़िरी शिकार बना।
परमाणु बम की शक्तियों पर एक नज़र :-
परमाणु बम एक ऐसा हथियार है जिसमें विनाश परमाणु की नाभिकीय ऊर्जा के कारण होता है। यह एक अनियंत्रित प्रक्रिया बन जाती है। इससे हज़ारों डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान उत्पन्न होता है जिससे कि उसके क्षेत्र में पड़ने वाला हर जीव एक क्षण में प्राण विहीन हो जाता है। बी.बी.सी. की एक डॉक्यूमेंट्री के अनुसार जो उसके प्रभाव क्षेत्र से बहुत दूर भी थे उनसे वह प्रकाश नहीं देखा जा रहा था उन्होंने जब अपनी हथेलियों को अपनी आँखों पर रखा तो तेज़ रोशनी की वजह से उनकी हाथों की नसें और हड्डियाँ तक दिखने लगी थीं।
यहाँ यह बात ध्यान रखना चाहिए कि आज उस पहले हमले को 75 साल होने चले। इन सालों में परमाणु बम की शक्तियाँ हजारों गुना बढ़ गई हैं। आज जो परमाणु बम बन रहे हैं उसके एक प्रयोग से पूरे पृथ्वी पर जीवन खत्म हो सकता है। हालिया शोध बताते हैं कि एक परमाणु बम ही इतनी ऊर्जा छोड़ेगी
जिससे पृथ्वी का तापमान इतना अधिक बढ़ जाएगा कि अधिकांश हिमनद पिघल जाएंगे। परमाणु जनित विकिरणों से ज़मीन, समुद्र और अन्य जल स्रोत आदि विषैले हो जाएंगे साथ ही पृथ्वी पर परमाणु बादल का छाया सा बन सकता है। इन सबका ख्याल ही बहुत खतरनाक लगता है तो वास्तविकता क्या हो सकती है यह तो कल्पनाओं से भी परे हैं। इस तरह मानव जाति को बचाने के लिए आवश्यक है कि परमाणु निःशस्त्रीकरण बहुत आवश्यक है।
परमाणु हथियारों पर नियंत्रण के प्रयास :-
शीतयुद्ध के दौरान परमाणु बम का बेलगाम प्रसार हुआ। इस दौरान दोनों गुट स्वयं को दूसरे से बड़ा साबित करने के लिए हथियारों की अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए। ओ.आर.एफ. द्वारा यह तथ्य बताया गया है कि अमेरिका और रूस के पास विश्व का 90 प्रतिशत परमाणु बम है। हमने यह जान लिया है कि परमाणु बम समस्त जीवन के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। अतः इस पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है। इसका सबसे पहला प्रयास अमेरिका और रूस द्वारा
INF संधि द्वारा किया गया। हालाँकि 2018 में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे बाहर आने की घोषणा की थी। 2017 में विश्व के लगभग 50 देशों ने परमाणु निषेध संधि पर हस्ताक्षर किए। भारत ने इसपर हस्ताक्षर नहीं किया क्योंकि भारत का मानना है कि यह प्रयास विश्व में बड़े स्तर पर परमाणु नियंत्रण के योग्य नहीं है। वह युद्ध आदि पर नियंत्रण आदि के मामले में जिनेवा निरस्तीकरण को मानता है। भारत जिनेवा निरस्तीकरण को ही बहुपक्षीय परमाणु अप्रसार मंच मानता है।
परंतु यह सभी प्रयास वास्तव में पूरी तरह कारगर नहीं माने जा सकते हैं। परमाणु नियंत्रण के लिए वैश्विक सरकारों को और भी मजबूती से एक मंच पर आकर इसका समाधान करना होगा।
इस प्रकार हमने यह जाना कि परमाणु बम किस हद तक नुकसानदेह हो सकता है। यह न केवल प्रयोग के दौरान नुकसानदेह है बल्कि बनाने की प्रक्रिया में हुए असंभावित हादसों और बनाने के बाद भी यह नुकसानदेह है। इस संदर्भ में जनता को अधिक जागरूक होकर अंतरराष्ट्रीय दबाव समूह के तौर पर सरकारों पर इसके नियंत्रण के लिए दबाव बनाया जा सकता है।
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