HistoryAnalysis
Trending

दस ऐसी घटनाएं जिन्होंने पलट कर रख दिया भारत का इतिहास

भारतीय इतिहास को हम अगर भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास कहें तो बेमानी नहीं होगी। । आज भी भारत की सीमा इतनी बड़ी है कि अनेक यूरोपीय देशों का समावेश इस देश में हो सकता है। इसलिए इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होगा अगर हम यह कहें कि इस भूमि का बहुत विस्तृत और समृद्ध इतिहास रहा हैं। जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो अक्सर हमें यह उक्ति सुनने को मिलती है – ये नहीं होता तो क्या होता ? कुछ ऐतिहासिक घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्होंने इतिहास को बहुत प्रभावित किया था।

भारतीय इतिहास को बदल देने वाली घटनाएं

1. चाणक्य का अपमान

Chanakya
चाणक्य

इतिहास की शुरुआती प्रसिद्ध घटनाओं में से एक है। चाणक्य एक बड़े अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ बहुत बड़े कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी । वो तक्षशिला विश्वविद्यालय में प्रारंभिक प्राध्यापक थे। उस वक्त मगध साम्राज्य में नंद वंश का शासन था और राजा थे घनानंद। 326 ईसा पूर्व सिकंदर की सेना भारत के सीमा पर दस्तक दे चुकी थी और अब वो व्यास नदी पार कर के मगध विजय का सपना देख रही  थी। इसी समय दूनियाई (Mecidonian) सेना की इस बढ़त को देखते हुए चाणक्य ने घनानंद को चेताया कि वह युद्ध और भारत की रक्षा के लिए तैयार हो जाएं जिससे कि वह सिकंदर से मुकाबला कर सकें। परंतु घनानंद ने उनका अपमान किया और ऐसा माना जाता है कि उसके सैनिकों ने चाणक्य को चोटी सज पकड़कर महल के बाहर तक घसीटा। इस तरह अपमानित हुए चाणक्य ने बदला लेने की ठानी और उसी मगध साम्राज्य के एक सिपाही चंद्रगुप्त मौर्य को उन्होंने इस कद्र तैयार किया कि घनानंद को पराजित कर मगध साम्राज्य पर से नन्द वंश को उखाड़ कर मौर्या वंश की नीव डाली और एक विस्तृत आखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की।

2. पृथ्वीराज चौहान को जयचंद का धोखा

Prithviraj chauhan betrayed by jai chand

आज जयचंद का अर्थ ही धोखेबाज होता है। यह अर्थ इतिहास की किस घटना के कारण हुआ? पृथ्वीराज चौहान दिल्ली और उत्तरी भारत के शासक थे। पृथ्वीराज चौहान ने 1191 में मुहम्मद गौरी को युद्ध में हराया था। पर वह बार-बार हमला कर रहा था। इसी बीच पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद की बेटी से बिना उसकी मर्जी के शादी कर ली। इससे जयचंद काफी नाराज़ हुआ। जयचंद कन्नौज का शासक था।

जब तराइन के दूसरे युद्द में पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गौरी का सामना हुआ तो जयचंद ने ईर्षा वश गौरी का साथ दिया। जिसकी वजह से पृथ्वीराज चौहान की हार हुई। मुस्लिम इतिहासकार मुद्दाबिर बताते हैं कि पृथ्वीराज की युद्ध क्षेत्र में ही हत्या कर दी गयी  परन्तु अन्य मुस्लिम इतिहासकार बताते हैं कि ऐसा नहीं हुआ बल्कि पृथवीराज को सामंत बना कर उसको शासन लौटा दिया गया। परन्तु बाद में इसकी हत्या कर दी गयी इस बात की पुष्टि एक संस्कृत के ग्रन्थ और सम्बंधित क्षेत्र में मिले पृथ्वी राज के सिक्को से भी होती हैं जिस पर श्री मुहम्मद अंकित हैं।

प्रसिद्ध ग्रन्थ पृथवीराज रासो में एक कथा मिलती हैं कि युद्ध के बाद पृथवीराज को कैद कर लिया गया और एक दिन पृथ्वी राज के एक पूर्व मंत्री ने मुहम्मद गौरी से बदला लेने के लिए एक योजना बने इसके तहत वो गौरी के पास गया और उसको बताया की पृथवीराज शब्द भेदी बाण चलाने में निपूर्ण हैं अंततः गौरी ने इस कला को देखने के लिए एक मंच का आयोजन किया। जिसमे पृथवीराज के मंत्री ने उसको श्लोक के जरिये बताया की गौरी कहा बैठा हैं इसके बाद पृथवीराज ने बाण चला कर गौरी को मार डाला। यह मात्र के कहानी हैं ऐतिहासिक तथ्य इससे बिलकुल अलग हैं परन्तु यह घटना युग प्रवर्तक मानी जाती हैं क्योकि इसके बाद ही भारत में मुस्लिम शासन की नीव पड़ी

3. ग्रेंड ट्रंक रोड का निर्माण

हालाँकि इतिहास में इस सड़क का निर्माण शेरशाह सूरी से माना जाता है पर इसकी शुरुआत इससे कहीं पहले चंद्रगुप्त के वक्त से ही हो गई थी। उसने अपने समय में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए सड़कों का निर्माण कराया था। जिसका आगे भी धीरे-धीरे विस्तार होता गया। शेरशाह सूरी के पहले एक बड़ी सड़क ‘उत्तरपथ’ का उल्लेख हमें इतिहास में मिलता है। 16वीं शदी में जब शेरशाह सूरी आया तो उसने इसी सड़क का पुनर्निर्माण किया और इसे ‘सड़क ए आजम’ कहा गया। उनके बाद मुगलों ने इस सड़क को काबुल तक और बंगाल में चिटगाँव तक विस्तार किया। इस सड़क ने व्यापारिक दृष्टि से भारत को फायदा किया। साथ ही साथ यह आने वाले वक्त में युद्ध के लिए भी बड़ा उपयोगी साबित हुआ।

4.दूसरे पानीपत के युद्ध में हेमू की हार

Hemu chandra the last hindu ruler of Delhi
हेमू चंद्र दिल्ली के आखिरी हिन्दू शाशक

मुगलकाल में हुमायूँ के बाद शासक बने अकबर अभी इतने बड़े नहीं हुए थे कि वह युद्ध आदि कर सके अतः वह बैरम खाँ के संरक्षण में थे। 5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर के बीच पानीपत का द्वितीय युद्ध हुआ। हेमू की सेना भी अधिक थी तथा उसके तोप भी बेहतर थे। अतः यह जाहिर था की जीत हेमू की होती। युद्ध के दौरान अकबर की सेना की तरफ से तीरों की भारी बारिश हो रही थी। एक तीर आकर हेमू की आँख में लगा जिसकी वजह से वह बेहोश हो गया। वह लड़ाई के मैदान में गिरने लगा जिसे देखकर उसकी सेना में भगदड़ मच गई और वह भाग खड़ी हुई। हेमू को गिरफ्तार किया गया तथा अकबर की इच्छा के विरुद्ध बैरम खाँ ने उसका कत्ल कर दिया। यहाँ से मुगल शासक की नींव भारत में मजबूत हो गई इसीलिए यह इतिहास का महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है।

5.वास्को डि गामा द्वारा भारत तक समुद्री मार्ग की खोज

Vasco Da Gama
वास्को डि गामा की खोज ने यूरोप के लिए खोल दिया था भारत के लिए रास्ता

1498 ई. में वास्को डि गामा का भारत आना भी भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इससे पहले यूरोप वालों के लिए भारत तक आने का समुद्री रस्ता नहीं ज्ञात था। इस रास्ते की वजह से भारत और यूरोप के मध्य व्यापार की शुरुआत हो गई।भारत में उन्हें सस्ते दामों में मसालों के साथ-साथ कॉटन आदि मिले।इसी वजह से पुर्तगाल के राजा मैनुअल ने 1502 में वास्को डि गामा के और भी भारत की यात्राओं का भार उठाने का निश्चय किया। 1524 में पुर्तगाल के राजा जॉन तृतीय ने उसे भारत में पुर्तगाल का वाइसरॉय नियुक्त कर दिया था। यह सब भारत में युरोपीय उपनिवेशवाद के शुरुआती घटनाओं में माना जा सकता है।

6. प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार

plassey ka yudh
प्लासी के युद्ध में हुई थी सिराजुद्दौला की हार

प्लासी का युद्ध एक ऐसा युद्ध माना जाता है जिससे कि ब्रिटिश साम्राज्य की नींव भारत में पड़ी। इसके बाद कम्पनी के हाथ में बंगाल के दीवानी मामले आ गए थे। प्लासी के युद्ध में हार की सबसे बड़ी वजह मीर जाफर का अंग्रेजों का साथ देना माना जाता है। शिराजुद्दौला की हार के बाद बंगाल पर मीर जाफर कठपुतली शासक बनकर उभरा। एक और वजह बताई जाती है जो सुनने और पढ़ने में तो छोटी लगती है पर वास्तव में अगर देखें तो पूरे युद्ध को पलटकर रख देती है। यह कारण थी बारिश में शिराजुद्दौला का तोपों और बारूद को ढकने के लिए तारपुलीन न ले जाना। जिसके कारण उनके बारूद खराब हो गए और उनके हार की प्रमुख वजह बने। इस वजह से यह घटना भी महत्वपूर्ण बन जाती है।

7. यूरोप में भारतीय कपास की बढ़ती माँग

1840ई. में अमेरिका म़े कपास की खेती में भारी कमी आई। मैनचेस्टर, जिसे उस वक्त कपास के उत्पादन का केंद्र माना जाता था वहाँ भी कपड़ों की फैक्टरियों को भी काफी घाटा का सामना करना पड़ा। चूंकि औद्योगिक क्रांति के पीछे एक बड़ी वजह कपड़ा उत्पादन के विभिन्न तेज मशीनों की खोज भी थी। अतः इस क्षेत्र में मंदी आने से यूरोप क्षेत्र में मंदी के आसार थे।

इस वजह से सभी औपनिवेशिक राष्ट्र अपने उपनिवेशों में कपास की खेती पर जोर देने लगे।ब्रिटिश साम्राज्य का भारत बड़ा उपनिवेश था अतः ब्रिटेन ने भारत में कपास की खेती पर जोर दिया। इससे हालाँकि भारत के कपास की माँग पूरे यूरोप में ज़रूर फैली पर भारत के किसानों पर अन्य फसलों के कम दामों का भी कुप्रभाव पड़ा। इस वजह से किसान वर्ग भी धीरे-धीरे ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध होना शुरू हुआ। अतः यह घटना ब्रिटिश सरकार के विद्रोह में मील का पत्थर बनी।

8. मंगल पाण्डेय का विद्रोह

Mangal pandey rebel
1857 में भारतीय सैनिकों का विद्रोह

1857 के विद्रोह की शुरुआत मंगल पाण्डेय के विद्रोह से माना जाता है जिन्होंने मार्च महीने के अंत में इसकी शुरुआत की परन्तु अपने सार्जेंट को गोली मारने के कारण उनको 8 April 1857 में फंसी दे दी गयी ,इनके विद्रोह का कारण यह था कि जिन गोलियों का वह इस्तेमाल कर रहे उसे खोलने के लिए दाँत से काटना पड़ता था जो कि गाय और सुअर के चमड़े का बना होता था। जिससे हिन्दू और मुस्लिम दोनों का धर्म भ्रष्ट होता। सिपाहियो ने इसे धर्म परिवर्तन करवाने की चल के रूप में भी देखा। (क्योकि इससे पूर्व अनेक सामाजिक सुधर किये गए थे जिनमे  प्रगतिशील भारतीय और क्रिस्चियन का योगदान था ) इस बात की अफवाह फैलाई गई। इस अफवाह ने विद्रोह के लिए तैयार बारूद में चिंगारी का काम किया । इस विद्रोह की शुरुआत 11 मई 1857 को हुई  जो धीरे धीरे उत्तर भारत के अनेक हिस्सों में फ़ैल गई। इस विद्रोह को सिपाही विद्रोह या भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी माना जाता है। हालाँकि अंग्रेजों ने इसका क्रूरता से दमन किया पर आजादी की आग सुलग चुकी थी।

9.गाँधी जी को ट्रेन से धक्का देकर उतार देना

mahatma gandhi ko train se utara gya tha
7 जून 1893 गाँधी जी को धक्के देकर स्टेशन पर उतार दिया गया था।

7 जून 1893 का दिन भारतीय और अफ्रीका के इतिहास में ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन पीटरमारित्जबर्ग स्टेशन पर महात्मा गाँधी को जो उस समय तक मोहनदास करमचंद गाँधी थे उन्हें धक्के देकर स्टेशन पर उतार दिया गया था। इस घटना कि मुख्य वजह थी उनका गोरा न होना। अफ्रीका में उन दिनों रंगभेद की नीति अपने चरम पर थी और गैर सफेद चमड़ी वालों को प्रथम श्रेणी में यात्रा करने पर मनाही थी।

इस वजह से गाँधी जी को वहाँ अपमानित होना पड़ा। इस घटना के बाद गाँधीजी ने वहाँ रंगभेद की इस नीति के खिलाफ संघर्ष करना शुरू किया और जब भारत लौटे तो वहाँ की स्थिति भी कुछ ज्यादा अलग नहीं थी। इस प्रकार एक घटना ने दो देशों के इतिहास में दर्ज हो गई।

10.संविधान लागू होना

भारत का संविधान
भारत का संविधान 1950 में हुआ था लागू

आख़िरी और सबसे महत्वपूर्ण घटना यह थी कि भारत का संविधान लागू किया गया। यह एक घटना नहीं वरन् यह एक नए युग की शुरुआत का उद्घोष था कि भारत आज से संप्रभु राष्ट्र बन गया। भारत का संविधान विश्व के सबसे सुन्दर संविधानों में से एक मानी जाती है।

इसका सबसे बड़ा कारण यह माना जाता है कि भारत के साथ आजाद हुए अन्य देशों में संविधान का इस प्रकार बने रहना बहुत मुश्किल रहा है। हमारे पास घाना और पाकिस्तान का उदाहरण है। पड़ोसी देश नेपाल में भी कई बार संविधान को नकारा गया। परन्तु भारत का संविधान 1950 में लागू होने के बाद आजतक लोकतंत्र की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए हुए है। भारतीय संविधान न केवल अपने वक्त के अनुसार सही था वरन् इसमें भविष्य के लिए भी गुंजाइश को छोड़ा गया था।

इस प्रकार भारतीय इतिहास को बदलने वाली यह प्रमुख घटनाएं थी जिनसे भारतीय इतिहास को एक नया मोड़ मिला। वास्तव में इतिहास की हर घटना अपने में अद्वितीय होती है। ये घटनाएं उन्हीं अद्वितीय घटनाओं का संकलन हैं।

#सम्बंधित:- आर्टिकल्स

Tags

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Close
Close